नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) वित्तीय संकट में घिरी एयरलाइन गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान मुहैया कराने वाली कंपनियां बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का फैसला आने के बाद अब अपने विमानों को वापस नहीं ले पाएंगी।
पिछले कुछ दिन में किराये पर विमान देने वाली कंपनियों ने गो फर्स्ट से 45 विमानों को वापस लेने की मांग रखी थी। इसके लिए उन्होंने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के पास इन विमानों का पंजीकरण खत्म करने का अनुरोध भी किया था।
हालांकि, एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी देकर फिलहाल विमानों को वापस लिए जाने से रोक दिया है। एयरलाइन ने वित्तीय संकट का हवाला देकर खुद ही दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाई थी।
गो फर्स्ट के दिवाला समाधान मामले से जुड़े रहे एक कानूनी जानकार ने कहा कि ऋण स्थगन लग जाने के बाद विमान मुहैया कराने वाली कंपनियां अब अपने विमानों को एयरलाइन से वापस नहीं ले पाएंगी।
विमानन क्षेत्र के केपटाउन समझौते के मुताबिक, अगर पट्टे पर विमान देने वाली कंपनी अपने विमान का पंजीकरण खत्म करने का अनुरोध नियामक से करती है तो पांच कार्य दिवसों में उसपर अमल करना होता है। लेकिन एनसीएलटी का आदेश यह अवधि पूरा होने के पहले ही आ गया है।
दरअसल, एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा है कि एयरलाइन के किसी भी कर्जदाता या विमान प्रदाता की तरफ से कंपनी को दी गई अपनी संपत्ति की वसूली को प्रतिबंधित किया जा रहा है।
गत दो मई को कुल 54 विमान गो फर्स्ट के बेड़े में शामिल थे। हालांकि, इनमें से 28 विमान पी एंड डब्ल्यू कंपनी की तरफ से इंजनों की आपूर्ति नहीं किए जाने से खड़े थे और सिर्फ 26 विमानों का ही परिचालन हो पा रहा था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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