कमजोर मांग होने से बिनौला छोड़ सभी तेल तिलहन में गिरावट
कमजोर मांग होने से बिनौला छोड़ सभी तेल तिलहन में गिरावट
नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) धन की तंगी के कारण तेल आयातकों और कारोबारियों की लिवाली करने और स्टॉक जमा रखने की क्षमता कमजोर होने के बीच शनिवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में बिनौला तेल में आई तेजी को छोड़कर बाकी सभी (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल एवं पामोलीन तेल) खाद्य तेल तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर खरीद करने के बाद भी सरसों, बिनौला और मूंगफली तेल पेराई मिलों को तेल की पेराई करने में 5-7 रुपये किलो का नुकसान है।
उन्होंने कहा कि पेराई के बाद ये तेल, सस्ते आयातित तेलों के आगे बिकना मुश्किल हो रहा है। पैसों की दिक्कत के कारण व्यापारियों के स्टॉक रखने की क्षमता प्रभावित हुई है। उदाहरण के लिए अगर पहले ये व्यापारी अगर 100 टिन का स्टॉक रखते थे तो मौजूदा समय में वह 20 टिन का भी स्टॉक नहीं रख पा रहे हैं।
इसलिए सभी खाद्यतेलों विशेषकर देशी खाद्यतेल की लिवाली कमजोर है। देशी तेल तो ऊंची लागत की वजह से सस्ते आयातित तेलों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं और उनके सामने देशी तेल टिक भी नहीं पा रहे हैं।
गुजरात में कांडला बंदरगाह पर सोयाबीन डीगम तेल का भाव 82.50 रुपये किलो है जबकि इससे कहीं काफी ऊंचा भाव रहने वाला बिनौला तेल का भाव गुजरात में 80.50 रुपये किलो है। यह इस बात का सूचक है कि देशी तेल बाजार में खप नहीं रहे हैं। इन परिस्थितियों में केवल बिनौला तेल में मामूली सुधार रहा।
सूत्रों ने कहा कि इन तेल संगठनों को सरकार को यह भी बताना चाहिये कि आयातित तेल के सस्ता होने का लाभ उपभोक्ताओं को मिल भी रहा है या नहीं। यदि नहीं मिल रहा है तो क्यों नहीं मिल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अब देशी तेल तिलहन का बाजार तभी स्वस्थ होकर आगे बढ़ पायेगा जब विदेशों में बाजार मजबूत होंगे। लेकिन इस ऊहापोह के बीच किसानों द्वारा तिलहन बुवाई से परहेज शुरु कर देने का भी खतरा है। पूर्व में ऐसे उदाहरण सूरजमुखी के साथ देखने को मिला है। मूंगफली की भी हालत बिगड़ती जा रही है जिनका उत्पादन पहले के मुकाबले काफी कम रह गया है। कुल मिलाकर यह खाद्यतेल के मामले में देश की आयात पर बढ़ती निर्भरता का संकेत देता है।
कल रात शिकागो एक्सचेंज में मामूली सुधार आया था लेकिन उसका यहां के बाजारों पर कोई असर नहीं दिखा। अगले 10-15 दिनों में मध्य प्रदेश में सरसों की आवक शुरु हो जायेगी इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है। मौजूदा बाजार हालत यही रहा तो पिछले साल के सरसों के ना खपने की हालत की पुनरावृति हो सकती है।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,275-5,325 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,715-6,790 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,780 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,355-2,630 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,650 -1,745 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,650 -1,750 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 7,560 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,125 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 7,980 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,910-4,970 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,720-4,770 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय

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