ऑडिटर ने कहा, डीएचएफएल में 12,705 करोड़ रुपये के लेन-देन में गड़बड़ी

ऑडिटर ने कहा, डीएचएफएल में 12,705 करोड़ रुपये के लेन-देन में गड़बड़ी

ऑडिटर ने कहा, डीएचएफएल में 12,705 करोड़ रुपये के लेन-देन में गड़बड़ी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:00 pm IST
Published Date: September 28, 2020 1:05 pm IST

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) कर्ज में फंसी आवास ऋण देने वाली कंपनी डीएचएफएल में वित्त वर्ष 2016-17 से 2018-19 के दौरान 12,705.53 करोड़ रुपये के गलत तरीके से लेन-देन किये गये। लेन-देन से जुड़े ऑडिटर ग्रांट थोर्नटन ने यह जानकारी दी।

ऑडिटर की रिपोर्ट के अनुसार यह गड़बडी ‘स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथोरिटी’ (एसआरए) की उन दो परियोजनाओं के लिये कर्ज वितरण से संबद्ध है जिका जिम्मा पूर्व में कंपनी ने लिया था।

इस साल की शुरूआत में दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरोशन लि. (डीएचएफएल) के तहत प्रशासक नियुक्त किया गया था।

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पिछले साल राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने ऋण शोधन अक्षमता के तहत कंपनी के मामले को स्वीकार किया था।

एनसीएलटी ने इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ आर सुब्रमण्यम कुमार को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया।

डीएचएफएल ने सोमवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि प्रशासक के साथ साझा की गयी ऑडिटर की रिपोर्ट के अनुसार उक्त सौदौं के कारण कंपनी पर 12,705.53 करोड़ रुपये का असर पड़ा। इसमें 10,979.50 करोड़ रुपये मूल राशि तथा 1,726.03 करोड़ रुपये ब्याज है। 30 नवंबर 2019 की स्थिति के अनुसार यह राशि बकाया थी।

एनसीएलटी के पास जमा आवेदन में ब्याज समेत पूरी राशि का जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार संबंधित लेन-देन 2016-17 से 2018-19 के दौरान हुआ।

रिपोर्ट के आधार पर एनसएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष 40 प्रतिवादियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें कपिल वधावन, धीरज वधावन, दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लि., सिगतिया कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लि और कुछ अन्य इकाइयां शामिल हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल डीएचएफएल मामले को दिवाला कार्यवाही के लिये भेजा था।

जुलाई 2019 की स्थति के अनुसार संकट में फंसी कंपनी के ऊपर बैंकों, राष्ट्रीय आवास बोर्ड, म्यूचुअल फंड और बांडधारकों के 83,873 करोड़ रुपये बकाये थे।

इसमें से 74,054 करोड़ रुपये सुरक्षित जबकि 9,818 करोड़ रुपये असुरक्षित कर्ज की श्रेणी में थे। ज्यादातर बेंकों ने डीएचएफएल के खातों को एनपीए घोषित कर दिया है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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