Bank Merger Latest News Today: बैंक ऑफ इंडिया...बैंक ऑफ महाराष्ट्र...खत्म हो सकता है इन बैकों का नामों निशान? Image: File
नई दिल्ली: Bank Merger Latest News Today भारत के बैंकों की दुनिया भर में पहचान बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है। बताया जा रहा है कि मोदी सरकार एक बार फिर देश के कई नामी बैंकों का विलय करने पर विचार कर रही है। बैंकों के विलय को लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल केंद्र सरकार चाहती है कि भारत में भी कुछ ऐसे बड़े बैंक तैयार हों, जो दुनिया के टॉप 100 बैंकों में जगह बना सकें।
Bank Merger Latest News Today मिली जानकारी के अनुसार देश की सबसे बड़ा सरकारी बैंक चाहता है कि भारत में आगे चलकर बड़े बैंकों का निर्माण हो, ताकि बाजार मूल्य में बढ़ोतरी हो। बैंक मर्जर का मुख्य मकसद वित्तीय स्थिति को मजबूत करना, NPA (मोंडी बकाया) घटाना, डिजिटल सुविधाएं बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर भारतीय बैंकों की प्रतिस्पर्धा को मजबूत बनाना है। जिन बैंकों के मर्जर पर चर्चा है, उनमें बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं। इनमें से कुछ बैंक एक-दूसरे के साथ या फिर किसी बड़े बैंक में विलय हो सकते हैं।
बता दें कि अप्रैल 2017 में SBI ने अपने छह सहयोगी बैंकों को अपने आप में मिला था। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और भारतीय महिला बैंक शामिल थे। इससे SBI देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक बना। वहीं, अप्रैल 2019 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने विजया बैंक और देना बैंक का विलय किया। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन गया।
वहीं, अप्रैल 2020 में PNB ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को अपने साथ मिलाया, जिससे PNB दूसरा सबसे बड़ा PSU बैंक बन गया। इसी वर्ष कर्नाटक आधारित केनरा बैंक ने सिंडिकेट बैंक को अपने साथ जोड़ा और देश का चौथा सबसे बड़ा PSU बैंक बना। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को मिलाकर पांचवां सबसे बड़ा PSU बैंक बनाया। इसके बाद इंडियन बैंक ने इलाहाबाद बैंक का विलय करके सातवां सबसे बड़ा बैंक बना।
गौरतलब है कि भारत में 1993 से लेकर अब तक कई बड़े बैंक मर्जर हो चुके हैं। तीन दशक में बैंकिंग सिस्टम में भारी बदलाव आए, और कई बैंकों को मिलाकर एक बड़ी और अधिक मजबूत संस्था बनाने की रणनीति अपनाई गई। ऐसे मर्जरों की वजह से बैंकों की पूंजी क्षमता बढ़ी, बेहतर तकनीक अपनाने में आसानी हुई, जोखिम कम हुआ और शाखाओं के ओवरलैप से होने वाला खर्च घटा।