बाइडन ने हिंद-प्रशांत व्यापार समझौते की शुरुआत की, मुद्रास्फीति पर दी चेतावनी |

बाइडन ने हिंद-प्रशांत व्यापार समझौते की शुरुआत की, मुद्रास्फीति पर दी चेतावनी

बाइडन ने हिंद-प्रशांत व्यापार समझौते की शुरुआत की, मुद्रास्फीति पर दी चेतावनी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : May 23, 2022/1:54 pm IST

तोक्यो, 23 मई (एपी) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को 12 हिंद-प्रशांत देशों के साथ एक नए व्यापार समझौते की शुरुआत की, जिसका मकसद उनकी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना है।

उन्होंने बढ़ती मुद्रास्फीति पर अमेरिकी नागरिकों को चेतावनी देते हुए कहा कि कि इस मोर्चे पर राहत मिलने से पहले उन्हें थोड़ा दर्द सहना होगा।

बाइडन ने यह भी जोड़ा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका में आर्थिक मंदी अपरिहार्य है। यानी मंदी से बचने की गुंजाइश है।

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ बातचीत के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बाइडन ने स्वीकार किया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समस्याएं हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि ये समस्याएं ‘‘बाकी दुनिया की तुलना में कम हैं।’’

उन्होंने कहा कि हालात ठीक होने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन इस विचार को खारिज कर दिया कि अमेरिका में अब मंदी को टाला नहीं जा सकता है।

हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे की शुरुआत से ठीक पहले बाइडन की यह टिप्पणी आई है। इस आर्थिक ढांचे को महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण पैदा हुए व्यवधानों के बाद वाणिज्यिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए तैयार किया गया है।

हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे में अमेरिका के साथ जुड़ने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

अमेरिका के साथ इन देशों की वैश्विक जीडीपी में 40% हिस्सेदारी है।

इन देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण हुए पैदा हुए व्यवधानों के बाद हुए इस समझौते से उन्हें सामूहिक रूप से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी।

बाइडन ने कहा कि नए ढांचे से क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अमेरिकी सहयोग भी बढ़ेगा।

इस समझौते के तहत अमेरिका और एशियाई अर्थव्यवस्थाएं आपूर्ति श्रृंखला, डिजिटल व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा और भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों सहित विभिन्न मुद्दों पर अधिक निकटता से काम करेंगी।

दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि इस ढांचे में कमियां हैं। यह टैरिफ कम करके या शामिल देशों को अमेरिकी बाजारों में अधिक पहुंच देने संबंधी प्रोत्साहन नहीं देता है।

एपी पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)