बजट में ‘रूपांतरकारी’ कर सुधारों का खाका पेश, नया आयकर कानून लाने, स्लैब में बदलाव का ऐलान

बजट में 'रूपांतरकारी' कर सुधारों का खाका पेश, नया आयकर कानून लाने, स्लैब में बदलाव का ऐलान

बजट में ‘रूपांतरकारी’ कर सुधारों का खाका पेश, नया आयकर कानून लाने, स्लैब में बदलाव का ऐलान
Modified Date: February 1, 2025 / 02:15 pm IST
Published Date: February 1, 2025 2:15 pm IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कई ‘रूपांतरकारी’ कर सुधारों का प्रस्ताव पेश किया जिनमें आयकर कानून को सरल बनाने से लेकर धनप्रेषण पर टीसीएस सीमा बढ़ाने और मध्यम वर्ग को आयकर में कई तरह के लाभ शामिल हैं।

सीतारमण ने लोकसभा में 2025-26 का बजट पेश करते हुए आयकर प्रावधानों के नियमन संबंधी छह दशक पुराने कानून की जगह एक सरल एवं हल्का नया कानून लाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि नए आयकर कानून में ‘न्याय’ की भावना होगी और यह ‘पहले विश्वास करो, बाद में जांच करो’ के सिद्धांत पर काम करेगा।

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उन्होंने अद्यतन आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वाले व्यक्तियों के लिए समय सीमा को भी बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव रखा। अद्यतन आईटीआर को वे करदाता दाखिल करते हैं जो निर्धारित समय पर अपनी सही आय की जानकारी नहीं दे पाए थे।

फिलहाल ऐसे रिटर्न संबंधित कर आकलन वर्ष के दो साल के भीतर दाखिल किए जा सकते हैं। लगभग 90 लाख करदाताओं ने अतिरिक्त कर का भुगतान करके स्वेच्छा से अपने आय विवरण को अद्यतन किया है।

सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए कई सुधार लागू किए हैं। इनमें चेहरा-रहित कर आकलन, करदाता चार्टर, त्वरित रिटर्न सुविधा, लगभग 99 प्रतिशत रिटर्न स्व-मूल्यांकन के आधार पर होना और विवाद से विश्वास योजना शामिल हैं।

उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि उनके कराधान प्रस्ताव का उद्देश्य मध्यम वर्ग पर विशेष ध्यान देने के साथ व्यक्तिगत आयकर में सुधार, मुश्किलों को कम करने के लिए टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) एवं टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) को तर्कसंगत बनाना और स्वैच्छिक अनुपालन सुनिश्चित करना है।

बजट में बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए स्रोत पर कर कटौती की सीमा बढ़ा दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से अर्जित आय पर होने वाली कर कटौती की सीमा को मौजूदा 50,000 रुपये से दोगुना करके एक लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह, किराया पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जाएगा।

सीतारमण ने कहा कि इससे टीडीएस के लिए उत्तरदायी लेनदेन की संख्या कम हो जाएगी, जिससे छोटे भुगतान पाने वाले छोटे करदाताओं को फायदा होगा।

रिजर्व बैंक की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत प्रेषण पर टीसीएस संग्रहित करने की सीमा भी सात लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। शिक्षा के लिए धन भेजने पर टीसीएस से छूट दी गई है, जहां ऐसा प्रेषण किसी निर्दिष्ट वित्तीय संस्थान से लिए गए ऋण से होता है।

वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को कर बोझ और पुनर्गठित स्लैब के संबंध में राहत दी गई। सीतारमण ने ऐलान किया कि नई आयकर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को आयकर से छूट दी जाएगी। वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती को ध्यान में रखते हुए यह आय सीमा 12.75 लाख रुपये हो जाएगी।

इस बदलाव के हिसाब से नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले लोगों की चार लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा। हालांकि चार से आठ लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत, आठ से 12 लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत और 12-16 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत कर लगेगा।

वहीं 16 से 20 लाख रुपये के बीच की आय पर 20 प्रतिशत, 20-24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत और 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा।

बजट प्रस्तावों के मुताबिक, नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये की आय वाले करदाता को कर में 80,000 रुपये का लाभ मिलेगा जबकि 18 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को कर में 70,000 रुपये का लाभ मिलेगा। 25 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को 1.10 लाख रुपये का लाभ मिलेगा।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘नए ढांचे से मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी आएगी और उनके हाथ में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।’

नई आयकर व्यवस्था में कर की दरें कम हैं लेकिन उसमें 75,000 रुपये की मानक कटौती और पारिवारिक पेंशन के लिए 15,000 रुपये की कटौती की ही सुविधा मिलती है।

इस बीच सरकार ने पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। पुरानी कर व्यवस्था में कई तरह की कर छूट और कटौती शामिल हैं।

भाषा प्रेम प्रेम पाण्डेय

पाण्डेय


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