नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने आगामी आम बजट 2026-27 के लिए व्यापक सुधारों का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक, निजी और विदेशी निवेशों को शामिल करते हुए सतत निवेश वृद्धि को बढ़ावा देना और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की गति को बनाए रखना है।
सीआईआई ने सुझाव दिया कि वित्त वर्ष 2026-27 में केंद्रीय पूंजीगत व्यय में 12 प्रतिशत और राज्यों को दी जाने वाली पूंजीगत व्यय सहायता में 10 प्रतिशत वृद्धि की जाए, इसके अलावा 2026-32 के लिए 150 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) 2.0 शुरू की जाए, जिन कंपनियों ने महत्वपूर्ण नए निवेश, उत्पादन या कर योगदान के महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किए हैं, उन्हें अतिरिक्त कर रियायतें या अनुपालन में ढील दी जाए।
इसमें यह भी कहा गया है कि त्वरित मूल्यह्रास लाभ को पुनः लागू किया जाए ताकि नए पूंजीगत व्यय और तकनीकी उन्नयन को और अधिक प्रोत्साहन दिया जा सके, विशेषकर लघु, मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और विनिर्माण उद्योगों के लिए, बशर्ते कि यह उपाय ऐसा हो कि आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिले लेकिन न्यूनतम वैकल्पिक कर की देयता उत्पन्न न हो।
इसके अलावा, सीआईआई ने राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना निधि (एनआईआईएफ) को मजबूत करने का सुझाव दिया और इसके लिए एक संप्रभु निवेश रणनीति परिषद (एसआईएफसी) के गठन की भी सिफारिश की, ताकि निवेश राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हो सके।
सीआईआई ने यह भी कहा कि आर्थिक चक्र आधारित सार्वजनिक ऋण ढांचे को अपनाकर वित्तीय स्थिरता को मजबूत किया जा सकता है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ”आगामी बजट 2026-27 को स्थिरीकरण और वृद्धि के दोनों भूमिकाओं को निभाना होगा और निवेश को बढ़ावा देना इसके सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक होगा।”
भाषा योगेश पाण्डेय
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