कार्यस्थल पर ‘डराने-धमकाने’ से कर्मचारियों की रचनात्मक सोच बाधित होती है: आईआईएम अध्ययन

कार्यस्थल पर 'डराने-धमकाने' से कर्मचारियों की रचनात्मक सोच बाधित होती है: आईआईएम अध्ययन

कार्यस्थल पर ‘डराने-धमकाने’ से कर्मचारियों की रचनात्मक सोच बाधित होती है: आईआईएम अध्ययन
Modified Date: August 17, 2025 / 02:56 pm IST
Published Date: August 17, 2025 2:56 pm IST

(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) कार्यस्थल पर ‘डराने-धमकाने’ और नकारात्मक व्यवहार के चलते कर्मचारियों की रचनात्मक सोच में बाधा पड़ती है और उनके नवाचार में सहायक परियोजनाओं में शामिल होने की संभावना कम हो जाती है।

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), लखनऊ के एक अध्ययन में यह बात कही गई। ऐसे नकारात्मक व्यवहार में बहिष्कृत किया जाना, अपमानित किया जाना या अनुचित बर्ताव शामिल है।

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कई संगठनों में कर्मचारी प्रबंधन की जानकारी के बिना गोपनीय रूप से स्व-प्रेरित विचारों पर काम करते हैं और जब वे व्यावसायिक सफलता के लिए तैयार हो जाते हैं, तब उस बारे में प्रबंधन को बताते हैं।

अधिकारियों के अनुसार, शोधकर्ताओं ने जरूरी आंकड़े जमा करने के लिए मिश्रित-विधि का उपयोग किया। शोध के तहत 112 प्रतिभागियों से सुझाव लिए गए।

आईआईएम लखनऊ के पीएचडी शोधकर्ता ऋषभ चौहान ने पीटीआई-भाषा को बताया, ”हमारा अध्ययन बताता है कि कार्यस्थल पर होने वाले दुर्व्यवहार कैसे सूक्ष्म रूप से कर्मचारियों की रचनात्मक क्षमता को नष्ट कर सकते हैं। संगठनों को ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जहां सच्चे नवाचार को गति देने के लिए समर्थन, सम्मान और खुला संवाद हो।”

अध्ययन में पाया गया कि कार्यस्थल पर ‘डराने-धमकाने’ से कर्मचारियों के नवाचार से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल होने की संभावना को कम हो जाती है। साथ ही कार्यस्थल पर नकारात्मक व्यवहार कर्मचारियों की ”संबंधपरक ऊर्जा” को कम करता है। इसमें कहा गया कि प्रबंधकों और कर्मचारियों के बीच खुला संवाद रचनात्मक होना चाहिए।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय


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