कैग ने सौभाग्य, डीडीयूजीजेवाई योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में बड़ी खामियां पाईं
कैग ने सौभाग्य, डीडीयूजीजेवाई योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में बड़ी खामियां पाईं
नयी दिल्ली, 18 दिल्ली (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र सरकार की दो महत्वाकांक्षी बिजली योजनाओं- ‘सौभाग्य’ एवं ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ (डीडीयूजीजेवाई) के समयबद्ध क्रियान्वयन में बड़ी खामियां पाई हैं।
कैग ने डीडीयूजीजेवाई और ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ (सौभाग्य) के प्रदर्शन की लेखा-परीक्षा रिपोर्ट में सरकारी बिजली कंपनी आरईसी पर भी सवाल उठाए हैं। यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद में पेश की गई।
सरकार ने वर्ष 2014 में ग्रामीण इलाकों में बिजली सुविधा बढ़ाने के मकसद से डीडीयूजीजेवाई को पेश किया था। वहीं सौभाग्य योजना 2017 में बिजली कनेक्शन सभी घरों तक पहुंचाने के लिए लाई गई थी।
कैग ने एक बयान में कहा कि 24 राज्यों एवं दो केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित 605 परियोजनाओं में से 494 परियोजनाओं (81.65 प्रतिशत) में कार्य आवंटन में देरी हुई।
इसके अलावा गांवों के निरीक्षण में देरी, मॉडल गुणवत्ता गांवों की पहचान न होना और गुणवत्ता आश्वासन व्यवस्था के दिशानिर्देशों का पालन न होने की बात भी रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के क्रियान्वयन से जुड़ी राज्य-स्तरीय स्थायी समिति (एसएलएससी) के पास विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी देने और निगरानी की जिम्मेदारी थी, लेकिन कई मामलों में डीपीआर इस समिति की सिफारिश के बगैर ही आरईसी को भेज दिए गए।
डीपीआर में विस्तृत जमीनी सर्वेक्षण पर आधारित सही गणना नहीं होने के कारण गांवों/ घरों के विद्युतीकरण, फीडर को अलग करने और प्रणाली सुदृढ़ीकरण में मात्रा या तो अधिक रही या कम आंकलन पाया गया।
कैग के मुताबिक, आरईसी ने छह राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों को पहली किस्त में 541.56 करोड़ रुपये के अनुदान जारी किए, जो त्रिपक्षीय/द्विपक्षीय समझौते और परियोजना प्रबंधन एजेंसी की नियुक्ति से 13 से 360 दिन पहले थे।
इसके साथ छह राज्यों को 1,603.81 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान राज्य सरकारों का योगदान सुनिश्चित किए बगैर कर दिया गया।
कैग रिपोर्ट में सौभाग्य योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य को 100 प्रतिशत पूरा कर लिए जाने के दावे पर भी सवाल उठाए गए हैं। सौभाग्य योजना के डैशबोर्ड पर उपलब्ध ब्योरे के मुताबिक, मार्च 2019 तक 2.63 करोड़ घरों तक बिजली कनेक्शन पहुंचाया जा चुका था।
लेकिन कैग ने अपने ऑडिट में पाया कि मार्च, 2019 तक केवल 1.51 करोड़ घरों तक ही बिजली पहुंचाई जा सकी थी। इस योजना की शुरुआत के समय बिना-बिजली वाले तीन करोड़ घरों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था।
इसके अलावा, इन दोनों योजनाओं में 16,728 घरों के लिए एक ही कार्य का दोहरा दावा, ठेकेदारों को अनुचित अग्रिम भुगतान और 2.24 करोड़ रुपये के दोहरे भुगतान जैसे मामलों का भी खुलासा हुआ है।
कैग ने योजनाओं के वित्त प्रबंधन में भी खामियां पाई गई हैं। कैग ने कहा कि आरईसी ने 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उधारी से जुटाए, लेकिन 404.35 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ही नहीं हुआ। इस वजह से मंत्रालय को 15.97 करोड़ रुपये ब्याज का गैर-जरूरी खर्च उठाना पड़ा।
इसके अलावा परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) शुल्क की अनुमोदन दर भी अन्य योजनाओं की तुलना में कई गुना अधिक पाई गई।
भाषा प्रेम
प्रेम रमण
रमण

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