केंद्र ने 20 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये कर्ज लेकर 68,825 करोड़ रुपये जुटाने को मंजूरी दी

केंद्र ने 20 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये कर्ज लेकर 68,825 करोड़ रुपये जुटाने को मंजूरी दी

केंद्र ने 20 राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये कर्ज लेकर 68,825 करोड़ रुपये जुटाने को मंजूरी दी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:54 pm IST
Published Date: October 13, 2020 2:10 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को 20 राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये खुले बाजार से 68,825 करोड़ रुपये की उधारी लेने को मंजूरी दे दी।

उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की सोमवार को हुई बैठक में आने वाले समय में जीएसटी संग्रह में कमी का पूरा करने के लिये केंद्र के राज्यों से कर्ज लेने के प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं बन पायी। उसके बाद यह निर्णय किया गया है।

चालू वित्त वर्ष में कुल क्षतिपूर्ति 2.35 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।

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केंद्र ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिये थे। इसके तहत या तो वे आरबीआई द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा के जरिये 97,000 करोड़ रुपये कर्ज ले सकते थे या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये का ऋण ले सकते थे। इसके अलावा उधारी को चुकाने के लिये आरामदायक और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले क्षतिपूर्ति उपकर 2022 के बाद भी लगाने का प्रस्ताव किया गया था।

मंगलवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने 20 राज्यों को खुले बाजार से 68,825 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि जुटाने को मंजूरी दे दी।

इसमें कहा गया है, ‘‘सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.5 प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त कर्ज लेने की मंजूरी दी गयी है। यह मंजूरी उन राज्यों को दी गयी है जिन्होंने जीएसटी लागू होने के कारण राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिये वित्त मंत्रालय की तरफ से दिये गये दो विकल्पों में से पहला विकल्प चुना है।’’

जीएसटी परिषद की 27 अगस्त को हुई बैठक में इन दोनों विकल्पों को रखा गया था और इस बारे में 29 अगस्त राज्यों को विस्तृत जानकारी दी गयी थी।

बयान के अनुसार, ‘‘बीस राज्यों ने पहला विकल्प चुना है। ये राज्य हैं…आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओड़िशा, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। आठ राज्यों ने अभी किसी विकल्प का चयन नहीं किया है।’’

भाषा रमण मनोहर

मनोहर


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