शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार |

शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  September 9, 2024 / 06:51 PM IST, Published Date : September 9, 2024/6:51 pm IST

नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) शिकॉगो एक्सचेंज के मजबूत होने से देश के तेल-तिलहन बाजारों में सोमवार को सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि महंगे भाव के कारण सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की निर्यात मांग फिलहाल कमजोर है जिसकी वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट है। लेकिन जाड़े में सोयाबीन डीओसी की मांग बढ़ेगी। महाराष्ट्र के नांदेड की कृषि मंडी ने कहा है कि यहां कोई व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर सोयाबीन नहीं खरीदे पर इस अपील का खास असर होने की संभावना नहीं है क्योंकि जब तक देशी तेल-तिलहन का बजार नहीं होगा तब तक माल खपेगा नहीं और किसानों को वाजिब दाम नहीं मिलेंगे। सरकार के द्वारा या तो किसानों की पूरी सोयाबीन फसल की एमएसपी पर खरीद हो तभी किसानों को उनकी मिहनत का लाभ सुनिश्चित किया जा सकेगा जो कहीं से व्यावहारिक नहीं दिखता। सरकार अगर पूरी फसल खरीद भी ले तो आने वाले जाड़े के दिनों में डीओसी की मांग कहां से पूरी होगी?

सरकार सोयाबीन खरीद कर गोदामों में रखवायेगी तो मिल वालों को समय पर पेराई करने के लिए माल उपलब्ध नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि जब तक देशी तेल-तिलहन का बाजार नहीं बनेगा तब तक किसानों को वाजिब दाम नहीं मिलेंगे। मौजूदा स्थिति बनी रही तो किसान सूरजमुखी की तरह सोयाबीन की खेती भी घटाते चले जायेंगे क्योंकि उनका मुख्य काम सही दाम पाने के लिए रोज-रोज आंदोलन करना नहीं हो सकता। ऐसे में वह सीधा सोयाबीन खेती से मुंह मोड़ सकते हैं। दूसरा सरकार को किसानों को सीधा प्रसंस्करण करने वाले मिलों से जोड़ना होगा। मौजूदा फसल में नमी आदि को उनके पास सुखाने संभालने का उपयुक्त इंतजाम होता है। मिल वाले दागी माल की भी छंटनी कर अपने पास रखते हैं। इन सब मामलों में बहुत व्यावहारिक रवैया अपनाना होगा।

सूत्रों ने कहा कि अब कई प्रवक्ता यह मानने लगे हैं कि किसानों को वाजिब दाम दिलाने के लिए आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क बढ़ाना होगा। जिनको महंगाई की चिंता सताती है उसके लिए राशन की दुकानों से वितरण का विकल्प है मगर इस बात की भी चिंता की जानी चाहिये कि सस्ता आयातित खाद्य तेल खुदरा में महंगा क्यों बना हुआ है ? इससे क्या महंगाई नहीं बढ़ती ?

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,360-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,800-7,075 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,425-2,725 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,030-2,130 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,030-2,145 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,525 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,875 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,700-4,730 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,500-4,635 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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