नईदिल्ली। लॉकडाउन के कारण कमजोर बिक्री के चलते रियल स्टेट कंपनियों से कर्मचारियों के छंटनी का दौर जारी है। बिक्री में सुस्ती अभी और कुछ महीनों तक बनी रहेगी इसलिए कंपनियां लगातार लागत कम करने के उपायों पर जोर दे रहीं है। रियल एस्टेट क्षेत्र नोटबंदी, रियल एस्टेट नियमन अधिनियम (रेरा), माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी नई व्यवस्थाओं को लागू करने से उत्पन्न रुकावटों तथा मंजूरियां मिलने में देरी के कारण पहले ही पिछले तीन-चार साल से दिक्कतों से जूझ रहा है।
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उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्र में 60-70 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें तीन लाख सफेदपोश कर्मचारी भी शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार, रियल एस्टेट क्षेत्र में लगभग दो लाख कर्मचारियों को कोरोनो वायरस संकट के कारण निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अब तक 60 हजार से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है।
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एक परामर्श प्रदान करने वाली कंपनी के मुताबिक ”इस क्षेत्र की बिक्री पर एक बड़ा प्रभाव पड़ रहा है और यह कंपनियों की लाभप्रदता को सीधे प्रभावित करेगा। अब लंबित भुगतानों में चूक की भी आशंकाएं हैं। उन्होंने कहा, ”पहले से ही ज्यादातर डेवलपर्स नकदी की कमी का सामना कर रहे हैं और इसलिए वे अब लागत कम करने पर ध्यान दे रहे हैं। वे इसके लिए छंटनी कर रहे हैं, अपने ऑफिस बंद कर रहे हैं।
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नॉन-ब्रोकिंग रियल एस्टेट शोध कंपनी लियसेस फोरास की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के प्रत्येक महीने में राजस्व का 8.3 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के अंत तक, आवासीय अचल संपत्ति बाजार में राजस्व का नुकसान 26.58 प्रतिशत पर रहेगा, जो जुलाई अंत तक बढ़कर 35.07 प्रतिशत तक हो जायेगा।