बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 393 परियोजनाओं की लागत 4.65 लाख करोड़ रुपये बढ़ी |

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 393 परियोजनाओं की लागत 4.65 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 393 परियोजनाओं की लागत 4.65 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : September 25, 2022/11:23 am IST

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 393 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.65 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

मंत्रालय की अगस्त, 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,526 परियोजनाओं में से 393 की लागत बढ़ गई है, जबकि 647 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,526 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,26,460.93 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 25,91,823.45 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 21.88 प्रतिशत यानी 4,65,362.52 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त, 2022 तक इन परियोजनाओं पर 13,60,645.94 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 52.49 प्रतिशत है।

हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 500 पर आ जाएगी।

वैसे रिपोर्ट में 607 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 647 परियोजनाओं में से 132 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 118 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 273 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 124 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी से चल रही हैं।

इन 647 परियोजनाओं में हो रहे विलंब का औसत 41.64 महीने है।

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।

इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से विभिन्न राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन से भी परियोजनाओं में देरी हुई है।

भाषा अजय अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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