बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 483 परियोजनाओं की लागत 4.43 लाख करोड़ रुपये बढ़ी |

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 483 परियोजनाओं की लागत 4.43 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 483 परियोजनाओं की लागत 4.43 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : August 22, 2021/11:40 am IST

नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 483 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की जुलाई, 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,781 परियोजनाओं में से 483 की लागत बढ़ी है, जबकि 504 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ”इन 1,781 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 22,82,160.40 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 27,25,408.00 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.42 प्रतिशत या 4,43,247.60 करोड़ रुपये बढ़ी है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई, 2021 तक इन परियोजनाओं पर 13,22,515.87 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 48.53 प्रतिशत है।

हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 369 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में 1001 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 504 परियोजनाओं में 92 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 118 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 178 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 116 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं।

इन 504 परियोजनाओं की देरी का औसत 46.85 महीने है।

इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी तथा बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं।

भाषा अजय अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)