नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने नैनीताल बैंक लिमिटेड (एनबीएल) में अपनी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की तरफ से मंगाए गए अभिरुचि पत्र (ईओआई) में दखल देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन की एक याचिका खारिज करते हए कहा है कि बैंक ऑफ बड़ौदा का हिस्सेदारी के विनिवेश का निर्णय मनमाना या अवैध नहीं है और इसमें किसी सांविधिक प्रावधान का स्पष्ट उल्लंघन नहीं हुआ है।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि विनिवेश एक नीतिगत निर्णय है जिसमें जटिल आर्थिक कारक शामिल होते हैं और अदालतें लगातार आर्थिक निर्णयों में हस्तक्षेप करने से बचती रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में यह अदालत इस स्तर पर ईओआई के विज्ञापन में हस्तक्षेप नहीं करेगी। हालांकि याची कानून के अनुसार उपयुक्त स्तर पर अपनी शिकायत रख सकता है।’’
याचिका में दलील दी गई थी कि पिछले साल 14 दिसंबर को ईओआई आमंत्रित करने का बैंक ऑफ बड़ौदा का निर्णय ‘मनमाना और गैरकानूनी’ है और यह संसदीय समिति के साथ-साथ वित्त मंत्रालय की सिफारिशों का भी उल्लंघन है।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि बैंक के कुछ अधिकारी कुछ निजी कंपनियों की मिलीभगत से नैनीताल बैंक में बैंक ऑफ बड़ौदा की हिस्सेदारी कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
भाषा अजय अजय प्रेम
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