मिट्टी की उर्वरता का क्षरण बड़ी चिंता; प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है सरकार: तोमर |

मिट्टी की उर्वरता का क्षरण बड़ी चिंता; प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है सरकार: तोमर

मिट्टी की उर्वरता का क्षरण बड़ी चिंता; प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है सरकार: तोमर

:   Modified Date:  December 5, 2022 / 07:16 PM IST, Published Date : December 5, 2022/7:16 pm IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता में आई कमी पर सोमवार को चिंता जताई और कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है। .

मंत्री ने नीति आयोग द्वारा सतत खेती के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। एक सरकारी बयान के अनुसार, तोमर ने कहा कि रासायनिक खेती और अन्य कारणों से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है और जलवायु परिवर्तन देश के साथ-साथ दुनिया के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय बनने जा रहा है। मंत्री ने कहा कि मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘‘इस गंभीर चुनौती से निपटने और बेहतर मृदा स्वास्थ्य के लिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।’’ तोमर ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। सरकार ने कृषि के लिए भारतीय प्राकृतिक कृषि प्रणाली को फिर से अपनाया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती प्रणाली किसानों द्वारा खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक प्राचीन तकनीक है और उस समय लोग यह भी जानते थे कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर कैसे रहना है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार किए हैं। पिछले वर्ष के दौरान, 17 राज्यों में 4.78 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1,584 करोड़ रुपये के खर्च के साथ एक अलग योजना के रूप में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती की परियोजना चल रही है, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और सभी कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), केंद्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज सभी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चौतरफा प्रयास कर रहे हैं। तोमर ने कहा कि केंद्र मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिये भी काम कर रहा है। दो चरणों में देशभर के किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत अवसंरचना विकास भी किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने का प्रावधान है। अब तक, 499 स्थायी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 113 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 8,811 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 2,395 ग्राम-स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। तोमर ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को अक्षुण्ण रखना एक बड़ी चुनौती है और यदि प्रकृति के सिद्धांतों के विपरीत पृथ्वी का दोहन करने का प्रयास किया जाता है, तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है, देश और दुनिया को इससे बचना चाहिए और अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सदस्य रमेश चंद, सीईओ परमेश्वरन अय्यर और वरिष्ठ सलाहकार नीलम पटेल भी उपस्थित थीं। भाषा राजेश राजेश अजयअजय

 

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