नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने ग्रेट निकोबार में एक नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
इस रणनीतिक हवाई अड्डे के लिए तैयार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के मुताबिक, इसे सैन्य एवं असैन्य दोनों उपयोगों के लिए विकसित किया जाएगा। इसका एयरसाइड और हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) भारतीय नौसेना के पास रहेगा जबकि असैन्य विमानों की पार्किंग एवं यात्रियों के चढ़ने-उतरने का नियंत्रण और यात्रियों से जुड़ी सुविधाएं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) संभालेगा।
ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीपसमूह का सबसे बड़ा और सबसे दक्षिण में स्थित द्वीप है। अंडमान-निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर यहां से 500 किलोमीटर से अधिक दूर है, जबकि फुकेत और सुमात्रा जैसे अंतरराष्ट्रीय गंतव्य 500 किलोमीटर के भीतर हैं।
डीपीआर के मुताबिक, इस हवाई अड्डे के विकास से द्वीप में पर्यटन आधारित विकास को गति मिलेगी और अंडमान-निकोबार को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर जगह मिलेगी।
भारतीय मुख्य भूमि इस द्वीप से करीब 1,500 किलोमीटर दूर है। दिल्ली लगभग 3,000 किलोमीटर, जबकि कोलकाता एवं मुंबई क्रमशः 1,850 एवं 2,250 किलोमीटर दूर स्थित हैं। वहीं सिंगापुर, वियतनाम और बाली 1,000 से 1,500 किलोमीटर की परिधि में हैं।
डीपीआर में ग्रेट निकोबार विकास योजना का भी उल्लेख है जिसके तहत पारगमन बंदरगाह, हवाई अड्डा और भविष्य की रणनीतिक रक्षा संरचना विकसित की जाएगी।
इस योजना के मुताबिक, वर्ष 2050 तक द्वीप की आबादी 6.5 लाख तक पहुंचने का अनुमान है जबकि वर्तमान जनसंख्या सिर्फ 6,500 के आसपास है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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