बीते वित्त वर्ष में डीजल की मांग में महामारी के बाद सबसे कम वृद्धि हुई

बीते वित्त वर्ष में डीजल की मांग में महामारी के बाद सबसे कम वृद्धि हुई

बीते वित्त वर्ष में डीजल की मांग में महामारी के बाद सबसे कम वृद्धि हुई
Modified Date: April 14, 2025 / 03:52 pm IST
Published Date: April 14, 2025 3:52 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) भारत में सबसे अधिक खपत वाले पेट्रोलियम उत्पाद डीजल की मांग में वृद्धि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में महामारी के बाद सबसे कम रही। अर्थव्यवस्था के धीमी गति से बढ़ने और स्वच्छ ईंधन की ओर रुझान तेज होने के चलते ऐसा हुआ।

पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में डीजल की खपत दो प्रतिशत बढ़कर 9.14 करोड़ टन रही।

ट्रकों और कृषि मशीनरी में इस्तेमाल होने वाले डीजल की मांग वित्त वर्ष 2023-24 में 4.3 प्रतिशत और 2022-23 में 12.1 प्रतिशत बढ़ी थी।

 ⁠

भारत में इस्तेमाल होने वाले ईंधन में डीजल का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है। मांग वृद्धि में नरमी देश में आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती को दर्शाती है। इसके अलावा बड़ी वजह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) हैं, जो भारत में डीज़ल की मांग को प्रभावित कर रहे हैं।

उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि डीजल अब भी भारतीय परिवहन क्षेत्र के तीन-चौथाई हिस्से को संचालित करता है, लेकिन ईवी बदलाव के कारण वृद्धि धीमी हो रही है। पेट्रोल की तुलना में डीजल की खपत में धीमी वृद्धि मुख्य रूप से वाणिज्यिक ईवी बदलाव के कारण थी।

दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में इलेक्ट्रिक बस को तेजी से अपनाया जा रहा है, और कई दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा (ई-रिक्शा) का बोलबाला हो गया है। इस वजह से शहरी सार्वजनिक परिवहन में डीज़ल का उपयोग सीधे तौर पर कम हो रहा है।

साथ ही, अमेजन, फ्लिपकार्ट और बिगबास्केट जैसी कंपनियां अपने आपूर्ति बेड़े को ईवी में बदल रही हैं।

समीक्षाधीन अवधि में पेट्रोल की खपत 7.5 प्रतिशत बढ़कर चार करोड़ टन हो गई, जबकि एलपीजी की मांग 5.6 प्रतिशत बढ़कर 3.13 करोड़ टन रही। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 में विमान ईंधन (एटीएफ) की मांग नौ प्रतिशत बढ़कर लगभग 90 लाख टन हो गई।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय


लेखक के बारे में