डीएमआरसी की भीड़ प्रबंधन, ट्रेन रखरखाव को एआई के इस्तेमाल की योजना
डीएमआरसी की भीड़ प्रबंधन, ट्रेन रखरखाव को एआई के इस्तेमाल की योजना
नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) भीड़ के प्रबंधन और ट्रेनों के रखरखाव के लिए अपनी चरण-4 परियोजना में कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है।
डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा कि मेट्रो ने हमेशा प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण के साथ तालमेल बनाए रखा है और उन्हें अपनाया है।
उन्होंने बताया, ‘‘प्रौद्योगिकी काफी उठापटक भरी रही है, जैसे यह तुरंत पूरे परिदृश्य को बदल देती है और यह बहुत तेजी से विकसित हो रही है। चालक रहित मेट्रो उसी का एक उदाहरण है, और यदि आप इसे सहज रूप में लेते हैं, तो इसका भविष्य बहुत बड़ा है। चालक रहित मेट्रो के जरिये चालक दल की जरूरत नहीं होती है, केवल बटन के क्लिक पर आप ट्रेन शुरू कर सकते हैं और यह चल पड़ेगी।”
उन्होंने कहा कि अगर मान लीजिए कि कहीं अचानक मांग है और भीड़ आ गई है, जबकि आपने पहले से इसकी योजना नहीं बनाई है। ऐसे में चालक रहित ट्रेन के साथ आप तुरंत एक ट्रेन शामिल कर सकते हैं।
अगर ऐसा नहीं होता तो ड्राइवर वाली ट्रेन को शामिल करने के लिए आपको पहले ड्राइवर की व्यवस्था करनी होगी। भीड़ नहीं होने पर इसका उल्टा किया जा सकता है।
कुमार ने बताया कि मेट्रो चरण-4 परियोजना में तीन कोच और छह कोच की संरचना वाली ट्रेन हो सकती है। ट्रेनों की संरचना बदली जा सकती है। जब मांग कम होगी, तो छह कोच वाली ट्रेन को तीन कोच वाली ट्रेनों बांट दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी और चेहरे की पहचान जैसी अन्य गतिविधियां शामिल हैं। कैमरे और अन्य प्रौद्योगिकी के जरिये भीड़ नियंत्रण भी भविष्य में निश्चित रूप से होगा और इसपर काम जारी है।
डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि एआई वाली तकनीक उचित परिणाम देगी। उन्होंने कहा कि रखरखाव के लिए भी एआई की मदद ली जाएगी।
डीएमआरसी के प्रधान कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने कहा कि दिल्ली मेट्रो चरण-4 में यातायात के आधार पर विभिन्न कोच संयोजनों के साथ ट्रेनें चलाने की संभावना तलाश रही है।
दिल्ली मेट्रो के चरण-4 की जरूरतों के लिए कुल 312 कोच खरीदे जा रहे हैं।
डीएमआरसी के राजस्व के बारे में एमडी ने कहा कि कोविड के दौरान उन्हें दो साल घाटा हुआ, लेकिन अब वे इससे बाहर आ गए हैं और परिचालन लाभ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने संचालन और रखरखाव में जो भी खर्च किया है, हम उससे कहीं अधिक टिकट बिक्री और गैर-किराया राजस्व के जरिए कमा रहे हैं। हम ब्याज का भुगतान करने में सक्षम हैं।’’
कुमार ने कहा कि वह गैर-किराया राजस्व बढ़ाने पर तेजी से काम करेंगे, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन में किराया बढ़ाने की भी एक सीमा होती है।
भाषा अजय पाण्डेय
अजय

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