महाराष्ट्र के शहरों में ई-बाइक टैक्सी सेवा को मंजूरी, एमएमआर में 10,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद

महाराष्ट्र के शहरों में ई-बाइक टैक्सी सेवा को मंजूरी, एमएमआर में 10,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद

महाराष्ट्र के शहरों में ई-बाइक टैक्सी सेवा को मंजूरी, एमएमआर में 10,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद
Modified Date: April 1, 2025 / 09:42 pm IST
Published Date: April 1, 2025 9:42 pm IST

मुंबई, एक अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मंगलवार को कम से कम एक लाख की आबादी वाले शहरों के लिए इलेक्ट्रिक-बाइक टैक्सी की शुरुआत को मंजूरी दे दी।

इस कदम से 15 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाले एकल यात्रियों को लाभ होगा और यह मुंबई के अलावा राज्य के कई अन्य शहरी केंद्रों में भी लागू होगी।

राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने कहा कि इस कदम से मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में 10,000 से अधिक और राज्य के बाकी हिस्सों में भी इतनी ही नौकरियां पैदा होंगी।

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उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आगे और पीछे बैठने वाले के बीच उचित विभाजन और मानसून के लिए छत वाली ई-बाइक को लोगों को ले जाने की अनुमति दी जाएगी।

सरनाइक ने सहयाद्री गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक के बाद यह घोषणा की। इसमें प्रमुख शहरी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक-बाइक टैक्सियों को पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने सिर्फ ई-बाइक टैक्सियों को पेश करने की नीति को मंजूरी दी है। एक राजस्व मॉडल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और किफायती किराया प्राथमिकता होगी।

‘बाइक टैक्सी’ आमतौर पर एक सवारी-सेवा को संदर्भित करती है जो यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए मोटरसाइकिल या अन्य दोपहिया वाहनों का उपयोग करती है।

सरनाइक ने कहा, “सरकार द्वारा प्रमाणित निगम और बोर्ड से जुड़े ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों के बच्चे ई-बाइक टैक्सी के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें 10,000 रुपये की सहायता दी जाएगी, और वे शेष धनराशि ऋण के माध्यम से जुटा सकते हैं।”

मंत्री ने कहा, “यह प्रदूषण मुक्त महाराष्ट्र की दिशा में पहला कदम है। हम किराया तय करेंगे। अगर एक यात्री को यात्रा के लिए 100 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, तो हम इस पर काम करेंगे कि यह काम 30-40 रुपये में कैसे हो सकता है।”

भाषा अनुराग अजय

अजय


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