सूरजमुखी के टूटने से खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट |

सूरजमुखी के टूटने से खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

सूरजमुखी के टूटने से खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

:   Modified Date:  March 24, 2023 / 08:23 PM IST, Published Date : March 24, 2023/8:23 pm IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) सूरजमुखी तेल का दाम दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शुक्रवार को सीपीओ से भी नीचे हो जाने के बाद बाकी सभी खाद्य तेल तिलहनों के दाम टूटते दिखे। परिणामस्वरूप सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में काफी गिरावट देखने को मिली।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल का दाम लगभग 10 महीने पहले 200 रुपये लीटर के आसपास हुआ करता था जो शुक्रवार को देश के बंदरगाह पर घटकर मात्र 73 रुपये प्रति लीटर रह गया है। सांकेतिक रूप से समझा जाये तो जो दाम 10 माह पूर्व एक रुपये हुआ करता था वह अब घटकर 37 पैसे रह गया है।

उन्होंने कहा कि सूरजमुखी और सोयाबीन तेल ही सबसे अधिक देश के सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, बिनौला जैसे नरम तेल (सॉफ्ट आयल) को प्रभावित करते हैं। एक तरह से कहें तो देश में ज्यादातर नरम तेल की ही अधिक खपत है यानी सूरजमुखी तेल देश के तेल तिलहन कारोबार को सबसे गहनता से प्रभावित करते हैं।

ऐसे में सूरजमुखी के साथ साथ सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात की छूट 31 मार्च तक होने के बीच इन तेलों का जरुरत से कई गुना अधिक आयात हो चुका है और आयात किया गया माल जून महीने तक देश के बाजारों में आता रहेगा।

सूत्रों के अनुसार ताजा फसल सरसों, जिसकी सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले लागत अधिक है, का बाजार में खपने का सवाल ही नहीं उठता। यह तेल तिलहन उत्पादन को बढ़ाने, देशी तेल मिलों के चलने, विदेशीमुद्रा की बचत करने, तेल उद्योग में लोगों को रोजगार देने, किसानों का भरोसा जीतने के मकसद के लिए घातक होगा।

उसने कहा कि सरकार को तत्काल सीमा शुल्क या आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में कोई फैसला करना होगा। शुल्कमुक्त आयात करने के फैसले के बाद से ही देश का तेल तिलहन उद्योग पहले से ही नाजुक दौर से गुजर रहा है लेकिन इन सबके बावजूद उपभोक्ता अभी भी इस गिरावट के लाभ से वंचित हैं।

प्रमुख तेल संगठन सोपा ने भी सरकार से मांग की है कि पिछले कुछ महीनों में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम में भारी गिरावट आई है और उसने देशी तिलहन किसानों के हित में सरकार से सस्ते आयातित खाद्यतेलों पर सीमा शुल्क कम से कम 20 प्रतिशत करने की मांग की है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन साल में सरकार ने सूरजमुखी और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में लगभग 10-12 रुपये किलो की वृद्धि की है जबकि इनके तेल के दाम लगभग 32 रुपये लीटर घट गये हैं। ये सारे हालात किसी भी तरह से तिलहन उत्पादन को नहीं बढा पायेंगे। इस स्थिति को संभालने के लिए सीमा शुल्क या आयात शुल्क अधिकतम सीमा तक बढ़ाना ही एक रास्ता रह गया है तभी देशी तिलहनों की बाजार में खपत होगी और किसानों का भरोसा तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर बढ़ेगा।

शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,220-5,270 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,765-6,825 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,580 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,530-2,795 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,680-1,750 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,680-1,800 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,205-5,355 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,965-5,015 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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