विदेशी बाजारों में नरमी से सभी खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट |

विदेशी बाजारों में नरमी से सभी खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट

विदेशी बाजारों में नरमी से सभी खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : September 26, 2022/7:18 pm IST

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में नरमी के चलते दिल्ली बाजार में सोमवार को लगभग सभी तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।

बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में सोमवार को 5.25 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गयी। वहीं शिकॉगो एक्सचेंज भी एक प्रतिशत कमजोर है।

सूत्रों के अनुसार विदेशी बाजारों में मंदी का असर स्थानीय तेल-तिलहन बाजार पर भी पड़ा है। वहीं विदेशों में आयतित तेलों जैसे…सोयाबीन, सीपीओ, पामोलिन और सूरजमुखी की कीमतें लगभग आधे से भी कम हो गई हैं। दूसरी ओर, सोयाबीन की नयी फसल की छिटपुट आवक भी शुरू हो गयी है जिससे इसकी कीमतों पर असर पड़ा है।

मूंगफली की कुछ समय में ही घरेलू फसल तैयार होने वाली है इसलिए इसका कारोबार मंदा चल रहा है। वहीं,सरसों और बिनौला की ऊंचे भाव में मांग ना होने से इनकी कीमतें भी गिरावट दर्शाती बंद हुईं।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सभी तेल-तिलहन कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद तेल कंपनियों के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) ऊंचे बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग चार महीने पहले 2,100 डॉलर प्रति टन कांडला पामोलिन का भाव गिरकर 950 डॉलर प्रति टन रह गया है। इसके बावजूद मॉल और खुदरा कारोबारियों द्वारा मनमानी कीमत लेने से उपभोक्ताओं को गिरावट का बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल पा रहा।

सूत्रों ने नवरात्रि त्योहार या पूजा तथा आस्था के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल को लेकर सरकार से सतर्कता बरतने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि पूजा के तेल के नाम पर कुछ रसायनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) से इनके लिये मंजूरी की जरूरत नहीं होती है, जिससे गलत दुरूपयोग हो रहा है। अगर कोई व्यक्ति अनजाने में इस तेल का इस्तेमाल खाना बनाने में कर ले तो वह जानलेवा साबित हो सकता है। वहीं देशी घी की तुलना में कम कीमत होने की वजह से इसकी बिक्री काफी बढ़ गयी है और इसकी बिकवाली से कारोबारियों को अधिक लाभ भी मिल रहा है।

इसके अलावा, इन तेलों के उपयोग से निकलने वाला धुंआ भी आंखों और फेफड़ों के लिये घातक होता है। साथ ही यह पर्यावरण के लिये भी खतरनाक है। कुछ कारोबारी अपने फायदें के लिये आस्था के नाम पर लोगों के जीवन के खिलवाड़ कर रहे हैं। लिहाजा सरकार को इन तेलों पर रोक लगाने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने चाहिए।

सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,775-6,780 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली -6,920-6,985 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,655 – 2,825 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,100-2,230 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,170-2,285 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,200-5,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 5,100- 5,200 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा रिया रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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