नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) उर्वरक उद्योग ने बुधवार को कई नीतिगत सुधार किये जाने की मांग की, जिसमें यूरिया के लिए पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) का विस्तार, पारदर्शी सब्सिडी ढांचा और जीएसटी से जुड़े इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) इकट्ठा होने का समाधान शामिल है, ताकि इस क्षेत्र की लाभप्रदता बेहतर हो सके और नए निवेश को आकर्षित किया जा सकें।
भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) के चेयरमैन एस शंकरसुब्रमण्यम ने ऊर्जा की ऊंची कीमतों, बढ़ते लॉजिस्टिक खर्चों और जरूरी अनुपालन जरूरतों से बढ़ते लागत दवाब की ओर इशारा किया, जिससे खासकर पुरानी यूरिया इकाई पर असर पड़ा है।
उन्होंने एफएआई की वार्षिक संगोष्ठी में कहा, ‘‘परिचालन को बनाए रखने और भविष्य के निवेश को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित लागत में सही और समय पर बदलाव सुनिश्चित करना जरूरी है। यह सुधार लंबे समय से लंबित है और आपका तुरंत समर्थन बहुत जरूरी राहत दे सकता है।’’ कार्यक्रम में उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा मौजूद थे।
एफएआई चेयरमैन ने जमीन के आधार पर किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) लिंकेज शुरू करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे खाद के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और किसान मिट्टी की सेहत के आधार पर सोच-समझकर फैसले ले पाएंगे।
हालांकि, एफएआई ने नाइट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटेशियम (एनपीके) के इस्तेमाल में लगातार असंतुलन की ओर इशारा किया, जिसने मिट्टी की सेहत पर बहुत बुरा असर डाला है।
एसोसिएशन ने एनबीएस नीति को स्थिर रूप से लागू करने, यूरिया के लिए एनबीएस को बढ़ाने और सब्सिडी का पारदर्शी अनुमान लगाने की मांग की, ताकि अस्थायी दर लागू करने से कीमतों में गड़बड़ी को रोका जा सके।
मुख्य कच्चे माल पर हाल ही में जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की तारीफ करते हुए एफएआई चेयरमैन ने सब्सिडी के कारण ढांचागत असंतुलन की ओर इशारा किया, जिससे काफी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) इकट्ठा हो रहा है।
एफएआई ने इस उल्टे शुल्क ढांचे को ठीक करने के लिए वित्त मंत्रालय से ज़रूरी बातचीत के साथ बिना रुकावट आईटीसी रिफंड की मांग की। क्षेत्र ने उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) को आसान बनाने और नए उत्पादों को तेज़ी से लाने के लिए परिचालन में लचीलापन देने के लिए सुधारों की भी मांग की।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
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