विदेशी बाजारों गिरावट से स्थानीय तेल-तिलहनों के भाव टूटे |

विदेशी बाजारों गिरावट से स्थानीय तेल-तिलहनों के भाव टूटे

विदेशी बाजारों गिरावट से स्थानीय तेल-तिलहनों के भाव टूटे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : October 12, 2021/7:18 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) आयात शुल्क कम होने की अफवाह की हवा निकलने से विदेशी बाजारों में आई गिरावट के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव गिरावट के रुख के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की गिरावट रही जबकि कल रात शिकॉगो एक्सचेंज में 1.6 प्रतिशत की गिरावट थी और खबर लिखे जाने तक इसमें फिलहाल 0.7 प्रतिशत की गिरावट है। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क कम किये जाने की बात अफवाह साबित होने से विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूट गये जिससे स्थानीय कारोबार भी प्रभावित हुआ।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्यों से अपने प्रदेश में आवश्यक वस्तु कानून के तहत खाद्य तेल-तिलहन के लिए अपनी आवश्यकता के अनुरूप ‘स्टॉक लिमिट’ (स्टॉक रखने की सीमा) लगाने की छूट दी है। सूत्रों ने कहा कि हालांकि अभी किसी भी राज्य ने इसे फिलहाल लागू नहीं किया है लेकिन ऐसी किसी सीमा को तय करते समय मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी को इसके दायरे से अलग रखना चाहिये क्योंकि इन फसलों की आवक का समय है। नयी फसलों के आने के पहले से ही बाजार में भाव टूटे हुए हैं और अब उक्त तिलहनों के स्टॉक सीमा के दायरे में आने से इनकी लिवाली प्रभावित होगी और भाव और टूटेंगे जिससे किसानों के लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल होगा और वे तिलहन उत्पादन बढ़ाने के अपने प्रयास में हतोत्साहित हो सकते हैं। यह देश को खाद्य तेल-तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के संदर्भ में प्रतिगामी कदम साबित हो सकता है।

सूत्रों ने कहा कि देश की मंडियों में सोयाबीन की आवक मंगलवार को पहले के सात लाख बोरी से बढ़कर लगभग 11-12 लाख बोरी हो गयी है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की मांग कमजोर होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव पूर्ववत बने रहे। जबकि कल रात शिकॉगो एक्सचेंज की गिरावट की वजह से सोयाबीन तेल के भाव कमजोर बंद हुए।

नवरात्रि में मांग कमजोर रहने से सरसों तेल-तिलहनों के भाव नरम बंद हुए। सरसों की कमी के कारण सलोनी में सरसों का भाव सोमवार के 9,150 रुपये प्रति क्विंटल पर ही बना रहा। उन्होंने कहा कि नवरात्रि के बाद मांग बढ़ने और अगली फसल के आने में समय होने के बीच सरसों का बहुत सीमित स्टॉक रहने की वजह से आगे जाकर दिक्कत बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि नयी फसल की आवक शुरू होने से पहले मूंगफली तेल-तिलहन में भी गिरावट रही।

मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट आई।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 8,770 – 8,795 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली – 6,485 – 6,570 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,750 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,180 – 2,310 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,660 -2,710 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,745 – 2,855 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,500 – 18,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,650 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,380 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,200

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,000 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,000 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,500 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,350 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 5,300 – 5,500, सोयाबीन लूज 5,000 – 5,100 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)