जल्द बारिश आने से जून के पहले पखवाड़े में ईंधन की मांग वृद्धि में नरमी

जल्द बारिश आने से जून के पहले पखवाड़े में ईंधन की मांग वृद्धि में नरमी

जल्द बारिश आने से जून के पहले पखवाड़े में ईंधन की मांग वृद्धि में नरमी
Modified Date: June 16, 2025 / 04:17 pm IST
Published Date: June 16, 2025 4:17 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) देश के कई हिस्सों में बारिश जल्द आने से जून के पहले पखवाड़े में भारत की ईंधन खपत में कमी आई है। दो महीने की वृद्धि के बाद डीजल की खपत नकारात्मक दायरे में चली गई जबकि पेट्रोल की मांग में भी गिरावट आई है।

सार्वजनिक क्षेत्र की तीन खुदरा ईंधन विक्रेता कंपनियों के बिक्री आंकड़ों के मुताबिक, जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल की मांग 2.3 प्रतिशत घटकर 14 लाख टन रह गई। यह मई में हुई लगभग नौ प्रतिशत वृद्धि के उलट है।

तीनों खुदरा ईंधन विक्रेता कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है।

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एक जून से 15 जून के दौरान डीजल की खपत 4.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 32.6 लाख टन पर आ गई। भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की मांग अप्रैल और मई में क्रमशः चार और दो प्रतिशत बढ़ी थी।

परिवहन और कृषि अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा माने जाने वाले डीजल की मांग में वित्त वर्ष 2024-25 में केवल दो प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिसमें अधिकांश महीनों में नकारात्मक वृद्धि ही रही थी।

उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि मानसून के जल्दी दस्तक देने से सिंचाई की मांग कम हो गई है और वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है। इस बार मानसून निर्धारित समय से आठ दिन पहले ही केरल पहुंच गया था जिसके बाद कर्नाटक, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर सहित कई राज्यों में काफी बारिश हुई।

सामान्य तौर पर गर्मियों की शुरुआत होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई और शहरी क्षेत्रों में एयर-कंडीशनर की मांग बढ़ती है। इसके अलावा गर्मी की छुट्टियों में यात्रा की योजनाओं से भी ईंधन मांग बढ़ती है। लेकिन इस जून में डीजल की मांग कम रही है।

इसके विपरीत, विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन (एटीएफ) की खपत जून के पहले पखवाड़े में 3.1 प्रतिशत बढ़कर 328,900 टन हो गई। यह पिछले साल की समान अवधि से 8.4 प्रतिशत और जून 2021 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, मासिक आधार पर एटीएफ की खपत में लगभग दो प्रतिशत की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक, उज्ज्वला गैस कनेक्शनों के कारण एलपीजी की खपत चार प्रतिशत की वृद्धि के साथ 12.7 लाख टन तक पहुंच गई। हालांकि यह मई 2025 की पहली छमाही की खपत से छह प्रतिशत कम थी।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण


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