Potato MSP 2025 News: किसानों के लिए बड़ी खबर.. सरकार करेगी आलू के लिए MSP का ऐलान, बिचौलियों की टूट जाएगी कमर..
पद्मश्री नेक राम शर्मा ने मुख्यमंत्री को सम्मेलन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बाजरे के महत्व और जल, जंगल और जमीन के संरक्षण पर भी चर्चा की। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, पद्मश्री हरिमन, कृषि विशेषज्ञ डॉ. सब्यसाची दास, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, हितधारक और कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
Government is deciding the MSP of potato crop || Image- The Brief file
- हिमाचल में 20 करोड़ की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
- किसानों के लिए आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जल्द घोषित किया जाएगा।
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और पारंपरिक बीजों के उपयोग पर जोर दिया गया।
Government is deciding the MSP of potato crop: शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐलान किया है कि, राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिकी मजबूत करने के लिए आलू का समर्थन मूल्य जल्द ही घोषित किया जाएगा।
दरअसल मुख्यमंत्री सुक्खू हिमाचल प्रदेश पुनरोद्धार वर्षा आधारित कृषि नेटवर्क द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बहु-हितधारक परामर्श सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हरित ऊर्जा और प्राकृतिक खेती को जोरदार तरीके से बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है और आने वाले वर्ष में इसमें और वृद्धि की जाएगी। विज्ञप्ति के अनुसार, प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आने वाले वर्ष में कई नई योजनाएं लागू की जाएंगी।
Government is deciding the MSP of potato crop: सुक्खू ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों के बाद हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। इसका मूल कारण जानने के प्रयास किए जा रहे हैं और खान-पान की आदतों में बदलाव भी कैंसर के मामलों में वृद्धि का मुख्य कारण हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 80 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान देती है। उन्होंने मौसम के बदलते मिजाज पर भी चिंता व्यक्त की, जो कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु-सहिष्णु कृषि, दालों को बढ़ावा देने, व्यापक पशुपालन, पारंपरिक बीजों के अधिक उपयोग, जल सुरक्षा और मृदा संरक्षण आदि जैसे कदम उठाकर इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले पारंपरिक बीज और फसलें पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं और उन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है। हमें ऐसी पारंपरिक फसलों का पुनः उपयोग करने की आवश्यकता है, जिन्हें अनुसंधान के माध्यम से और बेहतर बनाया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ियों के लिए पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
Government is deciding the MSP of potato crop: इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की सराहना की तथा इस कृषि पद्धति को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी।
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पद्मश्री नेक राम शर्मा ने मुख्यमंत्री को सम्मेलन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बाजरे के महत्व और जल, जंगल और जमीन के संरक्षण पर भी चर्चा की। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, पद्मश्री हरिमन, कृषि विशेषज्ञ डॉ. सब्यसाची दास, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, हितधारक और कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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