सरकार ने व्यापार के लिए ‘उत्पत्ति के प्रमाण’ को परिभाषित किया

सरकार ने व्यापार के लिए 'उत्पत्ति के प्रमाण' को परिभाषित किया

सरकार ने व्यापार के लिए ‘उत्पत्ति के प्रमाण’ को परिभाषित किया
Modified Date: April 21, 2025 / 06:57 pm IST
Published Date: April 21, 2025 6:57 pm IST

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) सरकार ने कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने और व्यापार समझौतों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सोमवार को ‘उत्पत्ति के प्रमाण’ को परिभाषित किया।

आयातकों को शुल्क रियायतें पाने के लिए एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) भागीदार से किसी उत्पाद का प्रमाण या उत्पत्ति का प्रमाण पत्र लेना होगा।

 ⁠

राजस्व विभाग के परिपत्र के अनुसार, उत्पत्ति के प्रमाण का अर्थ है कि व्यापार समझौते के अनुसार जारी किया गया प्रमाण पत्र या घोषणा, जिससे यह प्रमाणित होता है कि माल उत्पत्ति के देश के मानदंडों को पूरा करता है।

उत्पत्ति का प्रमाण पत्र उन देशों को निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिनके साथ भारत के व्यापार समझौते हैं।

एक निर्यातक को आयात करने वाले देश के बंदरगाह पर प्रमाण पत्र जमा करना होता है। मुक्त व्यापार समझौतों के तहत शुल्क रियायतों का दावा करने के लिए यह दस्तावेज महत्वपूर्ण है।

इस प्रमाण पत्र से यह पता चलता है कि माल मूल रूप से कहां से आया है।

इस कदम पर टिप्पणी करते हुए परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि सीमा शुल्क परिपत्र के जरिये मूल प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता को साबित करने के लिए अच्छी तरह परिभाषित तंत्र और एक मानक संचालन प्रक्रिया तय की गई है।

ठाकुर ने कहा, ‘‘इससे अनिश्चितता दूर होगी और सरलीकरण तथा पारदर्शिता आएगी।’’

भाषा पाण्डेय अजय

अजय


लेखक के बारे में