नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) सरकार ने लगभग 10 लाख टन बेहतरीन गुणवत्ता वाली तुअर दाल का निजी व्यापार के जरिये आयात करने की अग्रिम योजना बनाई है। तुअर दाल की कमी की आशंका के बीच सरकार ने यह कदम उठाया है।
आवश्यक वस्तुओं विशेष रूप से दाल और प्याज की कीमतों की समीक्षा के लिए कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई।
कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में अरहर का उत्पादन पिछले वर्ष के 43.4 लाख टन से घटकर 38.9 लाख टन रहने का अनुमान है। अरहर खरीफ की फसल है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गुलबर्ग इलाकों (कर्नाटक में) में मौसम और सूखे की बीमारी के कारण तुअर दाल के उत्पादन में कमी हो सकती है। आयात में कमी को पूरा करने के लिए योजना बनाई गई है।’’
उन्होंने कहा कि पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए देश को चालू विपणन वर्ष (दिसंबर-नवंबर) के दौरान लगभग 10 लाख टन अरहर दाल का आयात करना है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 7.6 लाख टन तुअर का आयात किया गया था।
सचिव ने कहा कि सरकार ने एक अग्रिम योजना तैयार की है और अरहर दाल के आयात के लिए निजी व्यापारियों से पहले ही चर्चा कर ली है। इस हिसाब से दिसंबर, 2022 में करीब दो लाख टन अरहर दाल का आयात किया गया है।
अरहर दाल का सबसे ज्यादा आयात पूर्वी अफ्रीकी देशों से और कुछ म्यामां से होता है। उन्होंने कहा कि भारत आवश्यक मात्रा में तुअर दाल का आयात करने में सक्षम होगा क्योंकि इन देशों में लगभग 11-12 लाख टन दलहन की उपलब्धता होने का अनुमान है।
दालों के सुचारू आयात के लिए सरकार धूम्रीकरण और स्वच्छता मानदंडों को आसान बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अरहर दाल के आयात को पहले ही 31 मार्च, 2024 तक खुले सामान्य लाइसेंस के तहत लाया जा चुका है।
सचिव ने कहा कि प्याज के मामले में कीमतें अभी स्थिर बनी हुई हैं। सरकार आने वाले महीनों में अपने बफर स्टॉक के लिए रबी फसल से प्याज की खरीद करेगी।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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