नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के निदेशक मंडल ने एक करोड़ टन वार्षिक क्षमता वाले अपशिष्ट पुनर्प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर 3,823 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जाएगा।
हिंदुस्तान जिंक ने सोमवार को बयान में कहा कि यह देश में जस्ता धातु अपशिष्टों का दोबारा प्रसंस्करण करने वाला पहला संयंत्र होगा। इसे राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रामपुरा अगुचा में स्थापित किया जाएगा।
एचजेडएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अरुण मिश्रा ने कहा कि यह संयंत्र उत्पादन क्षमता को दोगुना करने की उसकी दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। इसके 28 महीने में बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि इस संयंत्र को वैश्विक विशेषज्ञों की भागीदारी से विकसित किया जा रहा है और इससे पुराने अपशिष्ट से जस्ता एवं चांदी जैसे धातुओं की दोबारा प्राप्ति संभव हो सकेगी।
एचजेडएल पहले ही करीब 12,000 करोड़ रुपये के निवेश से 2.5 लाख टन सालाना परिष्कृत धातु क्षमता बढ़ाने और खदानों एवं खनिज प्रसंस्करण अवसंरचना बेहतर करने की योजना मंजूर कर चुकी है।
कंपनी ने कहा कि देश में अगले पांच-10 वर्षों में जस्ते की मांग दोगुनी होने का अनुमान है, जिसे देखते हुए यह विस्तार रणनीतिक रूप से अहम है।
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