नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) आवास ऋण पर ब्याज दरें घटने के बावजूद दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आवासीय संपत्तियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी ने घर खरीदने की क्षमता को प्रभावित किया है। नाइट फ्रैंक इंडिया ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म ने बयान में कहा कि इस साल मुंबई में लोगों की आवासीय संपत्तियों की खरीदने की क्षमता में सुधार हुआ है।
नाइट फ्रैंक का आवासीय व्यवहार्यता सूचकांक यह मापता है कि किसी शहर में एक घर के लिए मासिक किस्त (ईएमआई) चुकाने के लिए परिवार की आय का कितना प्रतिशत आवश्यक है।
इस सूचकांक के मुताबिक, किसी शहर में 40 प्रतिशत का सूचकांक स्तर यह दर्शाता है कि वहां के औसत परिवार को ईएमआई पर अपनी आय का 40 प्रतिशत खर्च करना होगा। आमतौर पर मासिक किस्त एवं आय के बीच 50 प्रतिशत से अधिक का अनुपात खरीदार के लिए असुविधाजनक माना जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद घर खरीद पाने की क्षमता के लिहाज से शीर्ष आठ शहरों में सबसे सुलभ है, जहां ईएमआई एवं आय का अनुपात 18 प्रतिशत है। इसके बाद पुणे और कोलकाता में 22 प्रतिशत का अनुपात है।
मुंबई में घर खरीदारों की पहुंच में इस साल सुधार हुआ है। वहां पर ईएमआई एवं आय का अनुपात 2025 में घटकर 47 प्रतिशत तक आ गया।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मासिक किस्त एवं आय के बीच का अनुपात 2025 में 28 प्रतिशत रहा जो पिछले वर्ष के 27 प्रतिशत की तुलना में मामूली रूप से अधिक है।
नाइट फ्रैंक ने कहा, ‘‘एनसीआर इकलौता ऐसा प्रमुख आवास बाजार रहा है जहां इस साल खरीदारों की पहुंच में कमी आई है। इसका कारण यहां प्रमुख संपत्तियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी और प्रीमियम आवासीय खंड में गतिविधियों का बढ़ना है।’’
हालांकि, सलाहकार फर्म ने कहा कि एनसीआर में घर खरीदारों की पहुंच अब भी स्वीकार्य सीमा के भीतर बनी हुई है और यह अभी चिंताजनक स्तर तक नहीं पहुंची है।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में इस साल हुई कटौती से ईएमआई का बोझ कुछ हद तक कम हुआ है, लेकिन घरों की बढ़ती कीमतें अभी भी खरीदारों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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