नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) हाल के वर्षों में मादक पदार्थों और सोने की तस्करी में अवैध भुगतान और अपराध से अर्जित रकम के लेन-देन में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग तेजी से बढ़ा है और अब हवाला नेटवर्क की जगह क्रिप्टोकरेंसी का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक या हवाला जैसे पुराने तरीकों के मुकाबले क्रिप्टोकरेंसी से पैसा कुछ ही सेकंड में दुनिया के किसी भी कोने में भेजा जा सकता है और इसका पता लगाना भी बहुत मुश्किल होता है। इस तरह ये सरकारी निगरानी से पूरी तरह बच जाता है।
‘भारत में तस्करी 2024-25’ रिपोर्ट कहती है कि यह बढ़ता चलन कानून-व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अब गैर-कानूनी लेन-देन का पता लगाने और इससे जुड़े अपराधों को रोकने के लिए एडवांस्ड ब्लॉकचेन फॉरेंसिक, विभिन्न एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करना और विशेष विश्लेषणात्मक उपकरण अपनाना आवश्यक हो गया है।
इसमें कहा गया कि क्रिप्टोकरेंसी अपने विकेंद्रीकृत, अज्ञात पहचान वाले और सीमाहीन स्वभाव के कारण तस्करी गिरोहों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन गई है। डीआरआई ने अवैध भुगतानों और अपराध से प्राप्त धन के लेन-देन में डिजिटल संपत्तियों के बढ़ते उपयोग को देखा है, खासकर मादक पदार्थों की तस्करी और सोना तस्करी के मामलों में।
रिपोर्ट में कहा गया कि सोने और मादक पदार्थों की तस्करी के जरिये कमाई गई रकम या तो हवाला के जरिये भेज दी जाती है या क्रिप्टोकरेंसी के रूप में विदेश में बैठे सरगनाओं को भेजी जाती है।
भाषा योगेश प्रेम
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