भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए अवसर

भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए अवसर

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 08:27 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 08:27 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) भारत और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं को यूपीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भारत की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने के अवसर प्रदान करता है। साथ ही बैंकिंग परिचालन के विस्तार में भी मदद करता है।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर अगले साल हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) द्विपक्षीय सहयोग को गति देने, बाजार पहुंच को सुगम बनाने और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की वित्तीय प्रणालियों के गहन एकीकरण को बढ़ाने के लिए आवश्यक संस्थागत और नियामकीय ढांचा प्रदान करेगा।

बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने घरेलू भुगतान के लिए व्यवस्था विकसित करने और एकीकृत त्वरित भुगतान प्रणालियों (एफपीएस) के माध्यम से वास्तविक समय में सीमापार प्रेषण और कारोबारियों के भुगतान का समर्थन करने के लिए सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है।

यह प्रावधान भारत के डिजिटल भुगतान परिवेश और वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र को मजबूत करने के साथ प्रवासी भारतीयों से प्रेषण प्रवाह को बढ़ाने, भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार में अवसर पैदा करने और यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और एनपीसीआई (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भारत की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने वाला है।

समझौते में सीमापार अनुप्रयोगों के लिए एक-दूसरे के नियामक सैंडबॉक्स और डिजिटल सैंडबॉक्स ढांचों से सीखने के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं।

ये प्रावधान द्विपक्षीय साझेदारी के भीतर भारत को एक फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) केंद्र के रूप में स्थापित करते हैं। इसके अलावा, यह एक विकसित अर्थव्यवस्था के साथ ज्ञान के आदान-प्रदान और नियामकीय शिक्षा को सुगम बनाता है और भारतीय फिनटेक कंपनियों के लिए सहयोग के अवसर पैदा करता है। साथ ही भारत की नियामकीस सैंडबॉक्स उपायों का समर्थन करता है।

इसमें आगे कहा गया है कि विशिष्ट प्रतिबद्धताओं की अनुसूचियां दोनों पक्षों के बीच प्रगतिशील सहयोग को दर्शाती हैं। इसमें प्रमुख बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों और उपक्षेत्रों में बाजार पहुंच और राष्ट्रीय व्यवहार पर व्यापक प्रतिबद्धताएं शामिल हैं।

बयान के अनुसार, भारत के क्षेत्रीय प्रस्ताव एक दूरदर्शी उदारीकरण दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें बैंकिंग और बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा में वृद्धि के साथ-साथ एक उदारीकृत बैंक शाखा लाइसेंसिंग ढांचा शामिल है। यह चार साल की अवधि में अधिकतम 15 बैंक शाखाएं स्थापित करने की अनुमति देता है।

बयान के अनुसार, ये प्रस्ताव भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं को न्यूजीलैंड में अपने परिचालन का विस्तार करने में सक्षम बनाएंगे। इससे वित्तीय सेवाओं के निर्यात में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

इससे न्यूजीलैंड के वित्तीय संस्थानों को भारत के गतिशील और तेजी से बढ़ते वित्तीय सेवा बाजार में प्रतिस्पर्धी स्थिति प्राप्त होगी। साथ ही यह भारत के व्यापक रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप प्रगतिशील बाजार उदारीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

वर्तमान में, दो भारतीय बैंक… बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया… न्यूजीलैंड में अनुषंगी इकाइयों के माध्यम से परिचालन कर रहे हैं। इनकी कुल चार शाखाएं हैं, जबकि न्यूजीलैंड की भारत में बैंक या बीमा क्षेत्र में कोई उपस्थिति नहीं है और न ही किसी भारतीय बीमा कंपनी ने न्यूजीलैंड में परिचालन स्थापित किया है।

इस एफटीए के तहत स्पष्ट बाजार पहुंच प्रतिबद्धताओं, नियामकीय पारदर्शिता और द्विपक्षीय सहयोग ढांचे की स्थापना से द्विपक्षीय निवेश, संस्थागत उपस्थिति और सेवा वितरण में वृद्धि होगी।

भाषा रमण अजय

अजय