दुबई, 26 अप्रैल (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) न केवल एक व्यापार मार्ग, बल्कि यह सभ्यताओं को जोड़ने वाला पुल है।
कोविंद ने दुबई में एससीएम (आपूर्ति शृंखला प्रबंधन) पश्चिम एशिया सम्मेलन और पुरस्कार 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे-जैसे दुनिया आपस में जुड़ती जा रही है, इस तरह की साझेदारी न केवल आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देती है, बल्कि हमें उद्देश्य और प्रगति में भी एकजुट करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कभी विकासशील देश के रूप में देखा जाने वाला भारत अब वैश्विक वृद्धि के इंजन के रूप में खड़ा है। प्रौद्योगिकी, कूटनीति और नवोन्मेष में अग्रणी है। आइए हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से प्रेरित होकर अपने भाग्य को एक साथ आकार दें।’’
लॉजिस्टिक शक्ति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और आईएमई गलियारे के शीर्ष सीईओ, निवेशक और नीति निर्माताओं सहित 400 से अधिक उद्योग जगत के प्रमुख शामिल हुए।
एक अनुमान के अनुसार, भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा के माध्यम से भारत से यूरोप तक सामान पारंपरिक स्वेज नहर समुद्री मार्ग की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत अधिक तेजी से और 30 प्रतिशत कम लागत पर पहुंचाया जा सकेगा। यह वैश्विक व्यापार को दक्ष बनाने पर इस गलियारे के महत्वपूर्ण प्रभाव को बताता है।
दो दिवसीय सम्मेलन में प्रमुख लोगों ने अपनी बातें रखीं। उन्होंने वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार साझा किये, साथ ही मजबूत, पर्यावरण अनुकूल व्यापार परिवेश बनाने में सहयोग और नवोन्मेष के महत्व का जिक्र किया।
भाषा रमण अनुराग
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