पारंपरिक मूल्यों से लैस प्रतिभा के दम पर भारत बनेगा वैश्विक शक्तिः चंद्रबाबू नायडू

पारंपरिक मूल्यों से लैस प्रतिभा के दम पर भारत बनेगा वैश्विक शक्तिः चंद्रबाबू नायडू

पारंपरिक मूल्यों से लैस प्रतिभा के दम पर भारत बनेगा वैश्विक शक्तिः चंद्रबाबू नायडू
Modified Date: December 26, 2025 / 06:39 pm IST
Published Date: December 26, 2025 6:39 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

तिरुपति, 26 दिसंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को कहा कि यदि भारत की जनसंख्या, ज्ञान और प्रतिभा पारंपरिक मूल्यों एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप बनी रहती है तो एक वैश्विक ताकत के रूप में भारत के उभार को रोका नहीं जा सकता है।

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नायडू ने यहां आयोजित ‘भारतीय विज्ञान सम्मेलन’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के विचार से सहमति जताते हुए कहा कि जनसंख्या को स्थिर रखने और राष्ट्रीय शक्ति सुनिश्चित करने के लिए विवाहित जोड़ों को आदर्श रूप से तीन बच्चे पैदा करने चाहिए।

नायडू ने कहा, “यदि हमारी जनसंख्या, ज्ञान और प्रतिभा हमारे पारंपरिक मूल्यों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के मार्गदर्शन में रहे, तो भारत को वैश्विक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता है।”

उन्होंने 1961 में स्थापित राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की तारीफ करते हुए इसे भारतीय संस्कृति के प्रचार और ‘भारतीयता’ एवं सभ्यता मूल्यों पर गर्व के साथ विचार-विमर्श करने के लिए मंच बताया।

नायडू ने भारत की ऐतिहासिक भूमिका को ज्ञान की अग्रणी शक्ति के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने हड़प्पा सभ्यता में 4,500 साल पहले शहरी नियोजन, योग में 2,900 साल पहले के आध्यात्मिक विज्ञान और आयुर्वेद में 2,600 साल पहले के चिकित्सीय नवाचारों का उल्लेख किया।

इसके साथ ही उन्होंने तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों के योगदान का भी उल्लेख किया जहां खगोल विज्ञान, गणित, चिकित्सा और अर्थशास्त्र में महत्वपूर्ण शोध होते थे।

मुख्यमंत्री ने प्रवासी भारतीय समुदाय की उच्च प्रति व्यक्ति आय और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में देश की बढ़त को रणनीतिक ताकत बताया।

उन्होंने कहा कि 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों से मिली रफ्तार के दम पर भारत जल्द ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है और वर्ष 2047 तक इसका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का इरादा है।

नायडू ने राष्ट्रीय नदी-जोड़ परियोजना के तहत गंगा-कावेरी परियोजना को “देश का दीर्घकालीन सपना” बताते हुए इसे जल सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया और राज्यों के बीच सहयोग पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि जल सुरक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और इसे हासिल करना कृषि, उद्योग और राष्ट्रीय विकास के लिए व्यापक संभावनाओं को खोलेगा।

मुख्यमंत्री ने अभिभावकों, शिक्षकों और समाज से बच्चों को केवल पश्चिमी सुपरहीरो फिल्मों तक सीमित रखने के बजाय भारतीय महाकाव्य और सांस्कृतिक विरासत के बारे में पढ़ाने का आह्वान किया।

उन्होंने फिल्मों के जरिये काल्पनिक सुपरहीरो को मिली लोकप्रियता का जिक्र करते हुए कहा कि रामायण और महाभारत के पात्र उच्च मूल्यों, शक्ति और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नायडू ने कहा, “भगवान हनुमान की शक्ति सुपरमैन से श्रेष्ठ है जबकि अर्जुन आयरनमैन या बैटमैन से कहीं महान योद्धा हैं। भगवान राम धर्म के प्रतीक हैं और रामराज्य आदर्श शासन को दर्शाता है।”

उन्होंने युवाओं को भगवान कृष्ण एवं शिव के जीवन और महाकाव्यों के माध्यम से नैतिक शिक्षा देने पर जोर दिया, क्योंकि ये ‘अवतार’ जैसी लोकप्रिय पश्चिमी फिल्मों की तुलना में कहीं अधिक अर्थपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि बकासुर और कंस जैसी कथाएं बच्चों में अच्छाई और बुराई के अंतर को समझाने और नैतिक आधार मजबूत करने के साधन के रूप में मदद करती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचार, सांस्कृतिक आधार और रचनात्मक सोच भारत को आने वाले दशकों में वैश्विक शक्ति बनने में सक्षम बनाएगी।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण


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