बिहार में निवेश को रफ्तार देने के लिए ‘उद्योग वार्ता’ की शुरुआत, निवेशक कर सकेंगे चर्चा

बिहार में निवेश को रफ्तार देने के लिए ‘उद्योग वार्ता’ की शुरुआत, निवेशक कर सकेंगे चर्चा

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  • Publish Date - December 4, 2025 / 05:07 PM IST,
    Updated On - December 4, 2025 / 05:07 PM IST

पटना, चार दिसंबर (भाषा) बिहार को औद्योगिक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने और राज्य में निवेश को गति देने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ‘उद्योग वार्ता’ की शुरुआत की है। यह मंच निवेशकों को शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों से सीधे जोड़कर उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा।

‘उद्योग वार्ता’ प्रत्येक बृहस्पतिवार को आयोजित की जाएगी। इसमें उद्योग विभाग के सचिव कुंदन कुमार, निदेशक उद्योग मुकुल कुमार गुप्ता और ऊर्जा विभाग के सचिव मनोज कुमार सिंह नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे। निवेशक किसी अपॉइंटमेंट के बगैर ही इस बैठक में भाग ले सकेंगे।

‘उद्योग वार्ता’ की शुरुआत होने के पहले ही दिन देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित निवेशकों ने बिहार में निवेश को लेकर स्पष्ट रुचि दिखाई।

इन निवेशकों ने कहा कि उनका उद्देश्य राज्य के विकास में योगदान देना और रोजगार के अवसर बढ़ाकर पलायन की समस्या को कम करना है। उनका कहना था कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है और उद्योगों के बढ़ने से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा।

टेंशर एनालिटिक के संस्थापक किसलय सिंह ने कहा कि वह डेटा इंटिग्रेशन एवं संबंधित क्षेत्रों में राज्य सरकार के सहयोग से निवेश करना चाहते हैं ताकि वाशिंगटन से बिहार लौटकर राज्य के विकास में योगदान दे सकें।

वहीं टाइगर एनालिटिक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) महेश कुमार ने अमेरिका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एआई क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक जरूरतों को रेखांकित किया और बिहार को ‘प्रौद्योगिकी केंद्र’ के रूप में विकसित करने में सहयोग की मंशा जताई।

इसके अलावा, डालमिया सीमेंट के कॉरपोरेट मामलों के प्रमुख राजेश कुमार, सीलिंक फायर एंड सेफ्टी एलएलपी, मुंबई के सीईओ सुशील के. सिंह और जेनेसिस कंपनी के गीतेश विश्वास सहित कई प्रमुख उद्योगपतियों ने भी राज्य में निवेश की प्रतिबद्धता जताई।

मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा कि बिहार सरकार समग्र आर्थिक विकास के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि निवेश बढ़ाने के लिए आवश्यक होने पर सरकार नई नीतियां बनाने या पुरानी नीतियों में संशोधन करने से भी पीछे नहीं हटेगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि ‘उद्योग वार्ता’ गंभीर और पात्र निवेशकों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का एक प्रभावी माध्यम बनेगी।

बिहार सरकार राज्य को उद्योगों, खासकर आईटी एवं एआई जैसे उभरते क्षेत्रों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। ‘उद्योग वार्ता’ की शुरुआत इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बिहार को देश के प्रमुख औद्योगिक राज्यों में विशिष्ट पहचान दिलाने में सहायक होगी।

भाषा कैलाश

नोमान प्रेम

प्रेम