उप्र में किसानों के दरवाजे पर बायोगैस इकाइयां लगाकर खाद, रसोई-ईंधन के उत्पादन की पहल

उप्र में किसानों के दरवाजे पर बायोगैस इकाइयां लगाकर खाद, रसोई-ईंधन के उत्पादन की पहल

उप्र में किसानों के दरवाजे पर बायोगैस इकाइयां लगाकर खाद, रसोई-ईंधन के उत्पादन की पहल
Modified Date: July 15, 2025 / 02:11 pm IST
Published Date: July 15, 2025 2:11 pm IST

लखनऊ, 15 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ के तहत किसानों के खेतों और घरों पर बायोगैस इकाइयां लगाकर जैविक/ प्राकृतिक खाद व रसोई-ईंधन के उत्पादन की पहल की गई है। मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।

बयान में कहा गया कि इस नई योजना की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर और ऊर्जा-संपन्न बनाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि गांवों में घरेलू बायोगैस इकाइयों की स्थापना से रसोई में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी की खपत में करीब 70 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे न केवल ग्रामीण परिवारों को आर्थिक बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

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राज्य सरकार की योजना है कि केवल गोशालाओं तक सीमित न रहते हुए यह मॉडल किसानों के दरवाजे तक पहुंचे। बायोगैस इकाइयों की स्थापना सीधे किसानों के घरों या खेतों के पास की जाएगी, जिससे वे स्वयं के उपयोग के लिए गैस और खाद दोनों का उत्पादन कर सकें। इससे खेती की लागत में भारी कमी आएगी और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

इस योजना को मनरेगा से भी जोड़ा गया है, जिसके तहत ग्रामीण किसानों को व्यक्तिगत पशुशाला (इंडिविजुअल कैटल शेड) निर्माण का लाभ मिलेगा। इन पशुशालाओं से उत्पादित गोबर का उपयोग बायोगैस यूनिट में कर किसान रसोई के लिए गैस बना सकेंगे। साथ ही, इससे निकलने वाले घोल (स्लरी) को वे आसपास के जैविक खेती करने वाले किसानों को बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकेंगे। इससे वे गैस व खाद दोनों में आत्मनिर्भर बनेंगे।

बयान में कहा गया कि राज्य सरकार 43 चयनित गोशालाओं में बायोगैस और जैविक खाद संयंत्रों को चालू करने जा रही है। इन संयंत्रों से न सिर्फ गैस का उत्पादन होगा, बल्कि गोबर से तैयार स्लरी से जैविक/प्राकृतिक खाद भी बनेगी। हर गोशाला से प्रतिमाह 50 क्विंटल स्लरी तैयार होने की संभावना है, जिसे आसपास के किसान उपयोग में ला सकेंगे।

भाषा आनन्द मनीषा अजय

अजय


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