आईटीएटी ने टाटा समूह के न्यासों का कर-छूट का दर्जा कायम रखा | ITAT upholds tax-exempt status of Tata group trusts

आईटीएटी ने टाटा समूह के न्यासों का कर-छूट का दर्जा कायम रखा

आईटीएटी ने टाटा समूह के न्यासों का कर-छूट का दर्जा कायम रखा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : December 29, 2020/12:15 pm IST

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने टाटा समूह के तीन न्यासों (ट्रस्ट) का कर- छूट का दर्जा कायम रखा है। न्यायाधिकरण ने आयकर विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें इस आधार पर न्यासों के कर छूट वाला दर्जा समाप्त करने की चेतावनी दी गई थी कि इन न्यासों के पास टाटा संस के शेयर हैं।

इसके साथ ही आईटीएटी ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री द्वारा समूह प्रमुख के पद से हटने के बाद आयकर विभाग को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए उनकी निंदा की है।

आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीपी भट्ट और उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार की मुंबई पीठ ने 28 दिसंबर को तीन अलग-अलग आदेश पारित कर रतन टाटा ट्रस्ट, जेआरडी टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के कर- मुक्त होने के दर्जे को कायम रखा है।

आईटीएटी ने कहा कि आयकर विभाग ने मार्च, 2019 में संशोधित आदेश जारी कर इन तीन न्यासों के करमुक्त होने का दर्जा समाप्त करने की जो बात उठाई थी, उसके पीछे कोई कानूनी आधार नहीं है।

तीनों न्यासों के पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

आयकर आयुक्त (छूट) (सीआईटी-ई) ने ट्रस्टों के पास टाटा संस के दशकों पुराने स्वामित्व को पलटने की चेतावनी दी थी। उनका आरोप था कि यह इस तरह की शेयरधारिता आयकार कानूनों के खिलाफ है। टाटा ट्रस्ट ने सीआईटी-ई के दावे को खारिज करते हुए इसके खिलाफ न्यायाधिकरण में अपील की थी।

इसके साथ ही आईटीएटी ने मिस्त्री की भी खिंचाई की है। न्यायाधिकरण ने कहा कि मिस्त्री ने जैसा व्यवहार किया है ऐसा कॉरपोरेट दुनिया में सुनने को नहीं मिलता है।

न्यायाधिकरण ने निष्कर्ष दिया कि टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के कुछ सप्ताह बाद मिस्त्री ने आयकर विभाग को कंपनी की अनुमति के बिना दस्तावेज उपलब्ध कराए। इसे ‘अंतर्रात्मा की आवाज और नैतिकता’ नहीं माना जा सकता।

भाषा अजय

अजय महाबीर

महाबीर

 

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