लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस में विलय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती

लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस में विलय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती

लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस में विलय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती
Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 pm IST
Published Date: January 17, 2021 11:35 am IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर (डीबीएस) में विलय को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि बैंक के शेयरधारकों को ‘अधर’ में छोड़ दिया गया है और केंद्र तथा भारतीय रिजर्व बैंक उनके हितों का संरक्षण करने में विफल रहे हैं।

यह याचिका 13 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल तथा न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थीं, लेकिन इसे 19 फरवरी तक आगे बढ़ा दिया गया है। पीठ को सूचित किया गया कि रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर इस विलय योजना के खिलाफ सभी याचिकाओं को बंबई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय में यह याचिका अधिवक्ता सुधीर कठपालिया ने दायर की है, जो लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारक भी हैं। इस विलय योजना की वजह से उन्हें कंपनी में अपने 20,000 शेयर गंवाने पड़े हैं।

 ⁠

कठपालिया ने योजना के उस प्रावधान को रद्द करने की अपील की है जिसमें कहा गया है कि विलय की तारीख से चुकता शेयर पूंजी की पूरी राशि और आरक्षित तथा अधिशेष ‘राइट ऑफ’ कर दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि योजना के तहत डीबीएस को लक्ष्मी विलास बैंक के निवेशकों को बदले में कोई शेयर देने की जरूरत नहीं है। ऐसे में शेयरधारकों को ‘अधर’ में छोड़ दिया गया है।

रिजर्व बैंक ने इस विलय योजना को 25 नवंबर, 2020 को मंजूरी दी थी और 27 नवंबर, 2020 को यह विलय हुआ था।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा करने में असफल रहे हैं। इसमें यह भी दावा किया गया है कि अन्य बैंकों और वित्त संस्थानों से विलय के लिये बोलियां मंगाये बिना ही डीबीएस को विलय के लिये चुन लिया गया।

भाषा अजय

अजय महाबीर

महाबीर


लेखक के बारे में