नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) बिजली मंत्री मनोहर लाल ने मसौदा बिजली (संशोधन) विधेयक के प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए संसद सदस्यों की एक समिति के साथ बैठक की। एक सरकारी बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई।
बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने बृहस्पतिवार को यहां हुई बैठक में हिस्सा लिया। मंत्रालय ने आगे कहा कि मंत्री ने मसौदा बिजली (संशोधन) विधेयक, 2025 में विभिन्न प्रस्तावों पर सदस्यों से सलाह लेने के लिए यह बैठक बुलाई थी।
यह सलाह-मशविरा बिजली इंजीनियरों के संगठन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के विरोध प्रदर्शनों के बीच हुआ, जिसने प्रस्तावित बिजली विधेयक के खिलाफ 23 दिसंबर को प्रदर्शन करने का कार्यक्रम तय किया है। संगठन ने उसी दिन देशव्यापी हड़ताल का भी आह्वान किया है, जिसमें केंद्रीय मजदूर संगठनों और किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ मिलकर नए श्रम कानूनों का विरोध किया जाएगा और फसलों के लिए गारंटीशुदा न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग की जाएगी।
बयान में कहा गया कि बिजली मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक का मकसद भारत के बिजली क्षेत्र की विधायी नींव को मजबूत करना है।
लाल ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक में ऐसे प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं ताकि लागत के अनुरूप शुल्क अनिवार्य किया जा सके।
मंत्री ने उपस्थित लोगों को साफ किया कि निजीकरण और लागत में बढ़ोतरी या कर्मचारियों पर बुरे असर के बारे में आशंकाओं का कोई आधार नहीं है। यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नियामकीय और नीतिगत उपाय किए जाएंगे कि उपभोक्ताओं या कर्मचारियों के किसी भी वर्ग पर कोई बुरा असर न पड़े।
एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि ये संशोधन किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बनाए गए क्षेत्रों में सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी को खत्म कर देंगे, जिससे बिजली खर्च बढ़ जाएगा।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
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