नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) विदेशों में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने तथा देश में आयात शुल्क मूल्य को पुनर्निर्धारित किये जाने के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम मजबूती के साथ बंद हुए। निर्यात में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) का दाम कम मिलने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली।
बाजार सूत्रों ने कहा कि इन सबके अलावा समीक्षाधीन सप्ताह के अंत में खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में फेरबदल करते हुए सोयाबीन डीगम तेल का आयात शुल्क मूल्य 88 रुपये क्विंटल घटाया गया है, जबकि कच्चे पामतेल (सीपीओ) का आयात शुल्क मूल्य पांच रुपये क्विंटल बढ़ाया गया है। पामोलीन के आयात शुल्क मूल्य को 19 रुपये क्विंटल घटाया गया है।
उन्होंने कहा कि विदेशों में पिछले महीने जिस सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,110-1,115 डॉलर प्रति टन था वह समीक्षाधीन सप्ताह में बढ़कर 1,175-1,180 डॉलर प्रति टन हो गया। इस दौरान, 1,170-1,175 डॉलर वाले सीपीओ का दाम बढ़कर 1,180-1,185 डॉलर प्रति टन हो गया। यानी सीपीओ और सोयाबीन डीगम के दाम का जो अंतर पहले अधिक था, वह अंतर अब लगभग बराबर हो चला है।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में एक मात्र सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट रही। यह गिरावट मुख्यत: निर्यात में अच्छा दाम नहीं मिलने की वजह से है। डीओसी की मांग तो है पर जो कीमत मिलनी चाहिये उससे काफी कम दाम मिल रहा है। इसके लिए सरकार को कुछ प्रयास करना होगा और केवल सरकारी खरीद करने से यह काम नहीं बनेगा। इसके बजाय सरकार को सोयाबीन डीओसी का बाजार भी बनाने की ओर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन में असली खेल इसके डीओसी का ही होता है क्योंकि सोयाबीन से लगभग 82 प्रतिशत डीओसी निकलता है। अगर इसके दाम कम मिलेंगे या ठीक दाम नहीं मिलेंगे तो तिलहन खरीद प्रभावित होगी, फिर पेराई मिलें पूरी क्षमता से नहीं चलेंगी। सरकार को सोयाबीन की सरकारी खरीद के स्थान पर डीओसी की खरीद कर सोयाबीन का बाजार बनाने का प्रयास करना चाहिये। डीओसी को अधिक समय तक भंडार भी किया जा सकता है क्योंकि यह जल्द खराब नहीं होता।
सूत्रों ने कहा कि सरसों का तेल आयातित तेलों से भी सस्ता है और इसमें सामान्य कामकाज हो रहा है। इसके भाव की चाल आयातित तेलों के हिसाब से तय होगी। सस्ता होने के बीच मांग होने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा कपास नरमा का दाम पिछले कुछ दिनों में धीमे-धीमे 225 रुपये क्विंटल तक बढ़ाया गया है। इससे बिनौला और मूंगफली पर अच्छा असर देखने को मिला जो मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार का मुख्य कारण है।
विदेशों में सोयाबीन डीगम और सीपीओ का दाम मजबूत होने से सोयाबीन तेल-तिलहन तथा सीपीओ एवं पामोलीन के दाम में सुधार आया। कपास की आवक पिछले महीने के 2.40-2.45 लाख गांठ से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में लगभग 80,000 गांठ रह गई है जो बिनौला तेल कीमतों में सुधार का मुख्य कारण है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये के सुधार के साथ 6,125-6,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 13,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 30-30 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,295-2,395 रुपये और 2,295-2,420 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,275-4,325 रुपये और 3,975-4,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 300 रुपये, 250 रुपये और 400 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,000 रुपये, 13,650 रुपये और 10,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन का भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 5,475-5,800 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 150 रुपये और 30 रुपये के सुधार के साथ 14,200 रुपये और 2,165-2,465 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 200 रुपये सुधरकर 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 350 रुपये मजबूत होकर 14,700 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 13,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
मजबूती के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 150 रुपये की तेजी के साथ 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
अजय
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