विदेशों में गिरावट के बीच अधिकांश तेल-तिलहन थोक कीमतें टूटीं पर खुदरा भाव ऊंचे

विदेशों में गिरावट के बीच अधिकांश तेल-तिलहन थोक कीमतें टूटीं पर खुदरा भाव ऊंचे

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Modified Date: May 22, 2025 / 07:22 PM IST
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Published Date: May 22, 2025 7:22 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के रुख के बीच घरेलू बाजार में बृहस्पतिवार को अधिकांश खाद्य तेल-तिलहनों के थोक भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए। हालांकि मूंगफली सहित कई अन्य खाद्यतेल के खुदरा भाव में अच्छी तेजी कायम है।

दोपहर कारोबार तक शिकॉगो एक्सचेंज में 2 से 2.5 प्रतिशत तक की गिरावट थी जबकि मलेशिया एक्सचेंज में भी लगभग 1.5 प्रतिशत की गिरावट चल रही थी।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों की गिरावट का असर सरसों पर कम हो रहा है क्योंकि एक तो इसका कोई विकल्प नहीं है, दूसरा बाजार में इस बार इसकी आवक कम रहने और मांग बढ़ने के कारण इसमें सुधार है। आवक कम रहने से इस बार इसकी पाइपलाईन खाली है। यहां तक कि नेफेड भी इसका पूरा स्टॉक नहीं बना पाया है। इस बार सरसों की बाजार में उपलब्धता सामान्य वर्षो से कम रहने की भी वजह से सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया।

दूसरी ओर, विदेशों में गिरावट के बीच बाजार धारणा प्रभावित रहने के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। सरकार की ओर से विशेषकर सोयाबीन और मूंगफली पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इन फसलों की बिजाई का समय नजदीक है। इन दोनों फसलों का हाजिर दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि कुछ समीक्षकों का अनुमान है कि यही हाल बना रहा तो इन फसलों की आगामी बिजाई का रकबा घट सकता है और किसान मोटे अनाज सहित किसी अन्य लाभप्रद फसल बोने का विकल्प चुन सकते हैं। यह खाद्य तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लक्ष्य के लिए घातक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इन कहानियों के ठीक उलट, यदि आप खुदरा बाजार की ओर झांके तो मूंगफली तेल का थोक दाम भले ही नीचे हो मगर इसी तेल का खुदरा दाम आसमान छू रहा है।

खुदरा बाजार में यह दाम लगभग 180-190 रुपये लीटर तक है। यही हाल सोयाबीन जैसी कुछ अन्य खाद्यतेलों का भी है। यानी किसान को मूंगफली के दाम 50 रुपये किलो मुश्किल से मिल रहा है और खुदरा बाजार का 180-190 रुपये किलो के दाम से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। अपनी लगभग 55 प्रतिशत जरुरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर देश में तिलहन किसानों की यह दुर्गति सभी की चिंता का विषय होना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में कितना उत्पादन हुआ या इसमें कितनी घट-बढ़ हुई, वहां के आयात-निर्यात के आंकड़े क्या हैं, के बारे में चिंता करने के बजाय देशी तेल-तिलहनों का उत्पादन कैसे बढ़े, इसके लिए क्या उपाय जरूरी हैं, कैसे देशी तेल-तिलहनों का बाजार बने और कैसे देश के तिलहन किसान का हौसला मजबूत हो, इसके बारे में कहीं अधिक ध्यान देने की जरुरत है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,585-6,660 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,775-6,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,260-2,560 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,465-2,565 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,465-2,600 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,875 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,425-4,475 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,175-4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)