लिवाली कमजोर रहने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूटे

लिवाली कमजोर रहने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूटे

लिवाली कमजोर रहने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूटे
Modified Date: July 19, 2024 / 09:44 pm IST
Published Date: July 19, 2024 9:44 pm IST

नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में सुधार के रुख के बीच बंदरगाहों पर आयात भाव से कम दाम पर की जाने वाली खाद्यतेलों की बिक्री के लिए लिवाली कमजोर रहने से घरेलू बाजारों में शुक्रवार को सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम गिरावट के साथ बंद हुए। सामान्य कारोबर के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत रहे।

शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात भी लगभग एक प्रतिशत की तेजी थी और फिलहाल यहां 1-1.25 प्रतिशत की तेजी है। मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे मजबूत बंद हुआ था। यहां शाम का कारोबार बंद है।

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बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार को अब खुद ही इस बात की ओर ध्यान देना चाहिये कि आयातित सूरजमुखी तेल जब 81-82 रुपये के थोक भाव पर बंदरगाहों पर उपलब्ध है तो 150 रुपये लीटर की लागत वाला देशी सूरजमुखी या अन्य देशी खद्यतेल (खुदरा दाम 125 रुपये से 150 रुपये लीटर) कहां से खपेंगे? क्या यह स्थिति देश में तेल तिलहन उत्पादन को कहीं से प्रोत्साहित करने वाला है? क्या इससे अपनी तिलहन उपज नहीं खपने की स्थिति के शिकार किसानों को कोई प्रोत्साहन मिलेगा?

उन्होंने कहा कि कुछेक तेल संगठनों से उम्मीद थी कि वे इन प्रश्नों के बारे में भी सरकार को मशविरा देंगे पर अभी तक उन्हें केवल खाद्यतेलों की मंहगाई और पाम एवं पामोलीन के बीच शुल्क अंतर बढ़ाने के संदर्भ में चिंता जताते देखा गया है। अगर इन तेल संगठनों की खाद्यतेलों की मंहगाई को लेकर वास्तव में चिंता है तो उन्हें बताना चाहिये कि जब बंदरगाहों पर आयातित तेल के थोक दाम पहले के दिनों के मुकाबले लगभग आधे रह गये हैं तो खुदरा में वह तेल सस्ता क्यों नहीं है? इस बारे में भी तो उन्हें अपनी राय रखनी चाहिये कि इस विरोधाभास का असली कारण क्या है।

कृषि मंत्राालय ने अपनी खरीफ बुवाई की प्रगति का आंकड़ा जारी करते हुए दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की बात की है। आंकड़ों में बताया गया है कि अभी तक खरीफ बुवाई के कुल रकबे में तो वृद्धि हुई है लेकिन कपास खेती का रकबा घटा है।

कपास से निकलने वाले बिनौला से बिनौल तेल और सबसे अधिक मात्रा में बिनौला खल मिलता है। दूध उत्पादन और मुर्गीपालन की दिशा में देश निरंतर आगे बढ़ रहा है और उसके खल एवं डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग में निरंतर इजाफा हो रहा है। तो ऐसे में खल एवं डीओसी की घरेलू उपलब्धता काफी अहम है। इस तथ्य के मद्देनजर कपास खेती का रकबा कम रहना एक चिंता का विषय है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,965-6,015 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,425-6,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,315-2,615 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,075 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,825 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,570-4,590 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,380-4,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण


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