म्यूचुअल फंड उद्योग ने सतत बांड में निवेश सीमा तय करने के सेबी के कदम का समर्थन किया

म्यूचुअल फंड उद्योग ने सतत बांड में निवेश सीमा तय करने के सेबी के कदम का समर्थन किया

म्यूचुअल फंड उद्योग ने सतत बांड में निवेश सीमा तय करने के सेबी के कदम का समर्थन किया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: March 12, 2021 11:25 am IST

नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह पूंजी बाजार नियामक सेबी के निश्चित सुनिश्चित आय देने वाले बिना परिपक्वता अवधि के बांड (सतत बांड) पर म्यूचुअल फंड के निवेश पर सीमा लगाये जाने के कदम का समर्थन करता है।

उद्योग संगठन के अनुसार वह इस बात से सहमत है कि ऐसी प्रतिभूतियों पर जोखिम अन्य नियमित बांड के मुकाबले ज्यादा है।

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को खास विशेषताओं वाले ऋण प्रतिभूतियों में निवेश और सतत बांड के मूल्यांकन के संदर्भ में नियमों की समीक्षा को लेकर परिपत्र जारी किया गया।

नये नियम के तहत म्यूचुअल फंड सतत बांड जैसे खास विशेषताओं वाली ऋण प्रतिभूतियों में अपनी किसी योजना के कुल कोष का 10 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं कर सकते। साथ ही किसी एक कंपनी की ऐसी ऋण प्रतिभूतियों में निवेश 5 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

इसके अलावा मूल्यांकन के उद्देश्य से सभी सतत बांड की परिपक्वता अवधि निर्गम तिथि से 100 वर्ष मानी जानी चाहिए।

म्यूचुअल फंड इकाइयों के संगठन ने एक बयान में कहा कि वह सतत बांड में निवेश सीमा तय किये जाने के लिये जारी परिपत्र की जरूरत और उसकी भावना का पूर्ण रूप से समर्थन करता है।

एएमएफआई ने कहा कि कुछ योजनाओं में जहां सतत बांड में निवेश निर्धारित सीमा से अधिक है, उन मामलों में नियामक ने पुरानी व्यवस्था लागू रहने की छूट दी है ताकि अनावश्यक रूप से बाजार में कोई समस्या पैदा नहीं हो।

उद्योग संगठन ने कहा कि सेबी ने सतत बांड के मामले में एएमएफआई के साथ विचार-विमर्श किया था। इसका कारण यह एक ‘हाइब्रिड’ निवेश उत्पाद है और जोखिम भी सामान्य ऋण प्रतिभूतियों के मुकाबले अधिक है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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