नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) देश में एक अप्रैल से 17 दिसंबर के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह आठ प्रतिशत बढ़कर 17.04 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। ‘रिफंड’ धीमा होने और कंपनियों के अधिक अग्रिम कर से शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ा है।
आयकर विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 10.54 प्रतिशत बढ़कर 8.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। वहीं गैर-कॉरपोरेट कर (जिसमें व्यक्तियों, एचयूएफ और कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए कर शामिल हैं) 6.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.47 लाख करोड़ रुपये रहा।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 17 दिसंबर तक प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) से प्राप्त शुद्ध राजस्व सालाना आधार पर मामूली बढ़त के साथ 40,195 करोड़ रुपये रहा।
कंपनियों का अग्रिम कर आठ प्रतिशत बढ़कर 6.07 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। गैर-कॉरपोरेट मद में अग्रिम कर संग्रह में 6.49 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 1.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। कुल मिलाकर 17 दिसंबर तक अग्रिम कर में 4.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 7.88 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।
‘रिफंड’ जारी करने में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की गिरावट आई और यह राशि 2.97 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही।
आयकर विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ‘रिफंड’ को समायोजित करने से पहले, सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 4.16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 20.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार ने प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान 25.20 लाख करोड़ रुपये लगाया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 में एसटीटी से 78,000 करोड़ रुपये एकत्र करना है।
डेलॉयट इंडिया के साझेदार रोहिंटन सिधवा ने कहा कि कंपनियों के अग्रिम कर में वृद्धि से उनकी अच्छी कमाई का संकेत मिलता है। हालांकि, गैर-कंपनी अग्रिम कर संग्रह में गिरावट आई है, जिसका संभावित कारण पिछले बजट में लोगों के लिए दी गई दरों में कटौती है।
सिधवा ने कहा कि ‘रिफंड’ जारी करने में गिरावट का कारण फर्जी ‘रिफंड’ दावों की अधिक गहन जांच है।
उन्होंने कहा कि ‘रिफंड’ को रोके रखने से मुकदमेबाजी भी बढ़ जाती है, जिसका बोझ कर विभाग के लिए असहनीय है।
भाषा निहारिका रमण
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