नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) देश में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के औसत वेतन में अगले साल करीब नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस दौरान कंपनियां बोनस, कौशल और प्रदर्शन को भी ज्यादा अहमियत देंगी। बुधवार को एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया।
वैश्विक सलाहकार कंपनी ‘मर्सर’ की वेतन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2026 के मुताबिक, , कंपनियां अब वेतन और लाभ की ऐसी व्यवस्था बना रही हैं, जिसमें कर्मचारी को सिर्फ पैसा ही नहीं, बल्कि करियर में आगे बढ़ने और बेहतर कामकाजी अनुभव भी मिले।
रिपोर्ट कहती है कि वेतन बढ़ोतरी के फैसले में कर्मचारी का व्यक्तिगत प्रदर्शन, महंगाई का असर और नौकरी बाजार में कंपनी की प्रतिस्पर्धी स्थिति जैसे प्रमुख कारक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस सर्वेक्षण में 1,500 से ज्यादा कंपनियों और 8,000 से अधिक पदों का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट बताती है कि अब अल्पकालिक प्रोत्साहन यानी प्रदर्शन से जुड़े बोनस पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। साथ ही कंपनियां कौशल पर आधारित सांगठनिक ढांचे की तरफ कदम बढ़ा रही हैं, ताकि जरूरी और दुर्लभ कौशल वाले कर्मचारियों को बेहतर पहचान और भुगतान मिल सके।
मर्सर की सलाहकार प्रमुख (भारत) मालती के.एस. ने कहा, ‘सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में कंपनियां लागत दबाव और अच्छी प्रतिभाओं को बनाए रखने के बीच वेतन वृद्धि की योजना पर टिकी रहेंगी।’
क्षेत्रवार देखें तो वर्ष 2026 में सर्वाधिक वेतन वृद्धि उच्च प्रौद्योगिकी वाले क्षेत्रों और वाहन उद्योग में होने की उम्मीद है। इस दौरान उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वेतन 9.3 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है जबकि वाहन उद्योग का वेतन 9.5 प्रतिशत बढ़ सकता है।
वहीं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), आईटी से जुड़ी सेवाएं (आईटीईएस) और वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के कर्मचारी सुविधाओं एवं खुशहाली के मामले में आगे बने हुए हैं।
डिजिटल बदलाव, कृत्रिम मेधा (एआई) और उत्पादकता की बढ़ती जरूरतों के चलते कर्मचारियों के कौशल आधारित भुगतान का रुझान तेज हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए श्रम कानूनों के लागू होने से सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अधिक मजबूत होंगी।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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