जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

जाड़े की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार
Modified Date: November 17, 2024 / 10:13 am IST
Published Date: November 17, 2024 10:13 am IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) जाड़े में सॉफ्ट आयल (नरम खाद्यतेलों) की मांग बढ़ने से देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह लगभग सभी तेल-तिलहनों के दाम में मजबूती दिखी।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने 14 नवंबर को खाद्यतेलों के आयात शुल्क में वृद्धि की है। इसके तहत कच्चा पामतेल (सीपीओ) का आयात शुल्क 80 रुपये क्विंटल, सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क 70 रुपये क्विंटल तथा पामोलीन का आयात शुल्क 67 रुपये क्विंटल बढ़ाया गया है। इसके अलावा विदेशों में भी खाद्य तेलों के दाम मजबूत हुए हैं जहां बायो-डीजल के निर्माण में खाद्यतेलों के उपयोग में बढ़ोतरी हुई है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कम हो रही है। सरसों की प्रतिदिन खपत लगभग चार लाख बोरी की है लेकिन आवक लगभग 1.5 लाख बोरी की ही रह गई है। हरियाणा में सहकारी संस्थाओं ने किसानों की अधिकतम सरसों की खरीद कर ली थी। हाफेड और नाफेड के पास ज्यादातर सरसों है और किसानों के पास थोड़ा बहुत ही माल है। इसलिए सरकार को संभल-संभल कर इसे तेल मिलों को बेचने को प्राथमिकता देनी चाहिये ताकि पेराई के बाद खाद्यतेल बाजार में आ सके ना कि इसका भंडारण किया जा सके। अगली फसल आने में लगभग चार माह का समय है और इसलिए सरसों की संभलकर बिक्री की जानी चाहिये।

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सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) सस्ता होने की वजह से इसकी स्थानीय मांग बढ़ी है जिसकी वजह से सोयाबीन तेल के भी दाम में सुधार आया है। विदेशों में भी सुधार होने की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में मजबूती दिखी।

उन्होंने कहा कि साबुत मूंगफली खाने वालों की मांग के अलावा सरकारी खरीद होने से भी मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार है। मूंगफली तेल का दाम आयातित तेलों के लगभग बराबर हो चला है जो पहले काफी अधिक हुआ करता था। जाड़े में नरम तेलों की मांग अच्छी होती है जो मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार का मुख्य कारण है।

सूत्रों ने कहा कि सीपीओ का दाम अपने पिछले सप्ताहांत के 1,245-1,250 डॉलर प्रति टन के मुकाबले बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताह में 1,260-1,265 डॉलर प्रति टन हो गया जिसकी वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में भी बढ़ोतरी देखी गई।

सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा गुजरात, महाराष्ट्र में एमएसपी पर कपास की खरीद करने से कपास से निकलने वाले बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया। हरियाणा, पंजाब में कपास के दाम पहले ही एमएसपी से अधिक चल रहे हैं और किसानों की ओर से ऊपज भी कम लाई जा रही है। इस कारण बिनौला तेल की कीमत भी समीक्षाधीन सप्ताह में मजबूत रही।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 85 रुपये के सुधार के साथ 6,700-6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 25 रुपये की तेजी के साथ 14,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 2,310-2,410 रुपये और 2,310-2,435 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

डीओसी की स्थानीय मांग के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 75-75 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,625-4,675 रुपये और 4,325-4,360 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम भी क्रमश: 125 रुपये, 175 रुपये और 75 रुपये बढ़कर क्रमश: 14,650 रुपये, 14,400 रुपये और 10,675 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।

जाड़े की मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार का रुख दिखा। मूंगफली तिलहन का भाव जहां 275 रुपये के सुधार के साथ 6,725-7,000 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ वहीं मूंगफली तेल गुजरात 425 रुपये की तेजी के साथ 15,675 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 70 रुपये की तेजी दर्शाता 2,370-2,670 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 100 रुपये मजबूत होकर 13,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये की तेजी के साथ 14,850 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 100 रुपये की तेजी के साथ 13,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

तेजी के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 300 रुपये की तेजी के साथ 13,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

भाषा राजेश अनुराग

अनुराग


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