बीते सप्ताह विदेशों बाजारों में तेजी, सावन के मौसम की मांग से तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार
बीते सप्ताह विदेशों बाजारों में तेजी, सावन के मौसम की मांग से तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में खाद्य तेल कीमतों में सुधार और सावन के मौसम की मांग बढ़ने से घरेलू तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ। वहीं ऊंचे भाव पर डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन की कीमतें नुकसान के साथ बंद हुईं।
बाजार सूत्रों ने कहा कि गत सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम में मजबूती दिखी। इसके अलावा सावन के मौसम में खाद्य तेलों की मांग कुछ बढ़ती है। इन सबकी वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में अधिकांश खाद्य तेल-तिलहन में सुधार दिखा।
सूत्रों ने कहा कि सावन के मौसम की मांग बढ़ने के साथ-साथ कच्ची घानी की बड़ी तेल मिलों की मांग होने के कारण भी सरसों तेल-तिलहन में मजबूती रही। सरकार के पास सरसों का जो स्टॉक है, उसे संभल-संभल के बेचना होगा, क्योंकि आगामी सरसों फसल आने में अभी सात-आठ माह का समय बचा है। सरसों की घट-बढ़ सरकार पर निर्भर करती है जिसके पास सरसों का स्टॉक है।
उन्होंने कहा कि सरकार को सरसों की बिक्री स्टॉकिस्टों के बजाय तेल मिलों को करनी चाहिये क्योंकि स्टॉकिस्ट द्वारा इसका स्टॉक जमा करने और बाद में अपने लाभ के हिसाब से इसका इस्तेमाल करने का अंदेशा रहता है। सरकार उन पेराई मिलों को सरसों बेचे जो पेराई के बाद उसे बाजार में उतारने की गारंटी करें।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन डीओसी का दाम महंगा होने की वजह से इसकी मांग कमजोर है। जबकि सोयाबीन में किसानों को लाभ तभी बढ़िया होता है जब उन्हें डीओसी के अच्छे दाम मिलें। इस वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई। जबकि आयातकों के लागत से कम दाम पर सोयाबीन डीगम तेल बेचने तथा सरसों एवं सूरजमुखी से सस्ता होने की वजह से मांग निकलने के कारण सोयाबीन तेल कीमतें सुधार दर्शाती बंद हुईं। सोयाबीन और मूंगफली का स्टॉक सरकार के पास है। अगली फसल में दो-ढाई महीने का ही समय बचा है। पहले से इनका स्टॉक भी बचा हुआ है। ऐसी स्थिति में स्टॉकिस्ट और किसान अपनी फसल निकाल रहे हैं। आगे आने वाली फसल के वाजिब दाम कैसे मिले और कैसे उनको खपाया जाएगा, इसकी चिंता सरकार को अभी से करनी होगी।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का दाम एमएसपी से लगभग 15 प्रतिशत नीचा है। इसकी निर्यात मांग भी निकलने की संभावना है। सस्ते थोक दाम पर मांग निकलने से बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन कीमत में भी सुधार दिखा।
उन्होंने कहा कि मूंगफली तेल की गिनती अनाज में नहीं होती और इस वजह से व्रत के दौरान इसका उपयोग किया जाता है। व्रत की मांग से भी इसमें सुधार है।
सूत्रों ने कहा कि बिनौला में कामकाज काफी कमजोर है और केवल भाव ऊंचा बोला जा रहा है। इस वजह से बीते सप्ताह बिनौला तेल के दाम में भी सुधार आया।
उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के खुदरा दाम की बेतहाशा तेजी को नियंत्रित करने के लिए सरकार को एक पोर्टल बनाकर उसपर नियमित रूप से खाद्य तेलों के एमआरपी की जानकारी देने का इंतजाम करने के बारे में विचार करना चाहिये।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 125 रुपये के सुधार के साथ 7,050-7,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि, सरसों दादरी तेल का थोक भाव 575 रुपये के सुधार के साथ 15,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 80-80 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,640-2,740 रुपये और 2,640-2,775 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में एक ओर जहां सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,350-4,400 रुपये और 4,050-4,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। वहीं दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 12,700 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 50 रुपये सुधार के साथ 12,500 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 75 रुपये के सुधार के साथ 9,775 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम लाभ दर्शाते बंद हुए। मूंगफली तिलहन का दाम 100 रुपये सुधरकर 5,800-6,175 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 150 और 30 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 13,850 रुपये क्विंटल और 2,260-2,560 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 200 रुपये के सुधार के साथ 10,850 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये के सुधार के साथ 12,600 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 11,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुस्त कारोबार के बीच केवल भाव ऊंचा बोले जाने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 300 रुपये बढ़कर 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश अजय
अजय

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