जीएसटी को पूरा हुआ साल, इसमें मिली कामयाबी और ये रही खामियां

जीएसटी को पूरा हुआ साल, इसमें मिली कामयाबी और ये रही खामियां

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  • Publish Date - June 30, 2018 / 10:25 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

नई दिल्ली। एक जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स(जीएसटी) को देश में लागू हुए एक साल हो जाएगा। शुरुआती दिनों में जटिलताओं की शिकायतों के बाद अब यह पूरे देश में लागू है और काम कर रहा है। हालाकि अब भी जीएसटी को लेकर कई होने हैं। लेकिन यह तो माना जा रहा है कि सालभर में जीएसटी ने व्यापारियों का भरोसा हासिल करता जा रहा है। आइए देखते हैं कि सालभर में जीएसटी कितना कामयाब रहा और कितनी खामियां बाकी रहीं।

ये रहे फायदे

जीएसटी को लेकर शुरुआत में ये आशंका जताई जा रही है कि इसके लागू होने के बाद इससे देश में महंगाई बढ़ सकती है। जीएसटी की तरह सिंगल टैक्स वाले और कई देशों में ऐसा देखा गया कि जहां इसे लागू किया गया वहां महंगाई बढ़ी। लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में जरुर बढ़ोतरी हुई है लेकिन उसके पीछे खाद्य और तेल की महंगाई कारण है, जीएसटी नहीं।

इसके अलावा पहले हर राज्यों का अलग-अलग टैक्स होने के कारण राज्यों की सीमाओं पर ट्रकों और मालवाहक वाहनों की लंबी लाइन लगी रहती थी। लेकिन अब पूरे देश में एक ही टैक्स लग रहा है, इसका मतलब अब अलग-अलग राज्यों के बाजार होने के बाद भी पूरा देश एक ही बाजार है। इसका फायदा यह हो रहा है कि सीमाओं पर ट्रांजैक्शन और फॉर्मिलिटी में कम से कम समय लग रहा है।

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जीएसटी का सबसे पहलु देखा जाए तो वो यह है कि एक देश एक टैक्स, मतलब यह कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाला भी उतना ही टैक्स दे रहा है जितना की कन्याकुमारी निवासी कोई अन्य कारोबारी। इसके अलावा जीएसटी के कारण अब टैक्स के दायरे से बचना मुश्किल हुआ है। पारदर्शी डिजिटल व्यवस्था होगी, इनवॉइस मैचिंग और इनपुट क्रेडिट के प्रोत्साहन की भी सुविधा मिलेगी। साथ ही, रिटर्न फाइल करने वालों की भी संख्य बढ़ी है, इससे रेवेन्यू में इजाफा हुआ है।

एक बड़ी बात यह भी है कि जीएसटी के आने से करीब 17 प्रकार के टैक्स और कई सेस का इसमें विलय हो गया है। जीएसटी के चलते ही टैक्स क्रेडिट का प्रवाह बढ़ा है। कंपनियों की माली हालत सुधरी है, जिसका फायदा ग्राहकों को मिला है।

ये हैं खामियां

हालांकि एक नेशन एक टैक्स के नाम पर जीएसटी लागू किया गया है। कई तरह के टैक्स का विलय जीएसटी में हो गया है लेकिन परेशानी यह हो गई है कि सेस के नाम से कर वसूलने का एक और तरीक निकाल लिया गया है। लग्जरी गुड्स पर कॉम्पेन्सेशन सेस लागू हुआ तो बाद में इसे ऑटोमोबाइल में लागू कर दिया गया। इसके बाद अब शक्कर पर भी सेस लगाने की चर्चाएं हैं।

निर्यातकों को सबसे बड़ी जो समस्या आ रही वह है एक्सपोर्ट्स रिफंड मेकेनिज्म, साथ ही डेटा मैचिंग लॉ में जटिलता।

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सबसे अधिक समस्या जीएसटी के अनुपालन में आ रही है। खासतौर पर तकनीकी समस्या के चलते कई बार व्यापारियों को मुश्किलें आई हैं। इनमें भी मंझोले और छोटे कारोबारियों के लिए यह एक सिरदर्द है।

कारोबार जगत इसलिए भी परेशान है क्योंकि जीएसटी आने के बाद कई तरह के रजिस्ट्रेशन आवश्यक हैं। कुछेक मामले तो ऐसे हैं जिनमें हर राज्य में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ रहा है।

कई मामलों में हर राज्य में रजिस्ट्रेशन कराए जाने की जरूरत है। कंपनियां इस आशंका में हैं कि अलग-अलग रजिस्ट्रेशन के चलते अलग-अलग ऑडिट और असेसमेंट होगा। कंपनीयों की सोच है कि इससे आने वाले समय में मुश्किलें और बढ़ेंगी।

वेब डेस्क, IBC24