रायपुर, 17 दिसंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को विधानसभा में आरोप लगाया कि विपक्ष को दबाने के लिए केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए।
अध्यक्ष द्वारा मांग खारिज किए जाने के बाद, कांग्रेस विधायक सदन में आसन के करीब पहुंच गए, जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया।
शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि ‘विपक्ष का गला घोंटने’ के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि गवाहों के बयान कानून के अनुसार अदालत में दर्ज किए जाने चाहिए थे, लेकिन राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अपने कार्यालय में इन्हें तैयार किया और बाद में जांच के दौरान असली दस्तावेज के रूप में पेश किया।
बघेल ने कहा, ”यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां तक कि गवाहों को भी डराया जा रहा है।”
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपने बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कांग्रेस विधायकों ने तमनार (रायगढ़ जिला) में (कोयला खदान के लिए) पेड़ों की कटाई का विरोध किया, जिसकी वजह से चैतन्य को गिरफ्तार किया गया।
बघेल ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई का भी हवाला दिया और इसे विपक्ष को दबाने का प्रयास बताया।
भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर राज्य विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती।
अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपने कक्ष में स्थगन प्रस्ताव नोटिस खारिज कर दिया था।
बघेल ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, और जब विपक्ष को डराया जा रहा है तो इसे कैसे बचाया जा सकता है।
उन्होंने सत्ता पक्ष को इस मुद्दे पर चर्चा की चुनौती दी और विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी। मांग नहीं माने जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने ‘सत्यमेव जयते’ के नारे लगाए और आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों के माध्यम से पार्टी को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके बाद भाजपा सदस्यों ने ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाकर जवाब दिया।
नारेबाजी के बीच, कांग्रेस सदस्य सदन में आसन के करीब पहुंच गए और विधानसभा नियमों के अनुसार स्वतः निलंबित हो गए।
अध्यक्ष ने 34 कांग्रेस विधायकों के निलंबन की घोषणा की, जिसके बाद वे बाहर चले गए। कुछ मिनट बाद उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।
इससे पहले, प्रश्नकाल पूरी तरह से बाधित रहा। कांग्रेस सदस्य अपने कपड़ों पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखे पोस्टर लगाकर सदन में आए और सरकार पर जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि कांग्रेस सदस्य किस नियम के तहत अपने कपड़ों पर पोस्टर लगाकर सदन में आए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष सिंह ने कहा कि सदन के अंदर पोस्टर और बैनर का इस्तेमाल करना सही नहीं है और यह संसदीय नियमों के खिलाफ है।
उन्होंने कांग्रेस सदस्यों से इसे हटाने और फिर कार्यवाही में शामिल होने को कहा।
हालांकि, कांग्रेस सदस्य सदन के अंदर ही रहे, जिससे हंगामा हुआ। इसके बाद अध्यक्ष को सदन को पांच मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।
इसके बाद, कार्यवाही फिर से दो बार स्थगित की गई क्योंकि कांग्रेस सदस्यों ने पोस्टर हटाने के अध्यक्ष के बार-बार दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया।
केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियां राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान कथित तौर पर हुए शराब, कोयला, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग भर्ती, चावल मिलिंग, जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) और अन्य घोटालों की जांच कर रही हैं।
भाषा संजीव
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