नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) बेहतर मानसून के कारण चालू खरीफ (ग्रीष्मकालीन बुवाई) सत्र में अबतक धान का रकबा 21 प्रतिशत बढ़कर 115.64 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
पिछले साल 15 जुलाई तक धान की बुवाई का रकबा 95.78 लाख हेक्टेयर था। धान एक प्रमुख खरीफ फसल है।
सोमवार को कृषि विभाग ने 15 जुलाई, 2024 तक खरीफ फसलों के बुवाई के रकबे में हुई प्रगति की रिपोर्ट जारी की।
आंकड़ों के अनुसार, दलहन का रकबा पिछले साल के 49.50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 62.32 लाख हेक्टेयर हो गया है। दालों में अरहर का रकबा 9.66 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 28.14 लाख हेक्टेयर हो गया है।
हालांकि, मोटे अनाज की बुवाई का रकबा एक साल पहले के 104.99 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम यानी 97.64 लाख हेक्टेयर रह गया है।
गैर-खाद्य श्रेणी में तिलहनों के लिए खेती का रकबा इस खरीफ बुवाई सत्र में अबतक 140.43 लाख हेक्टेयर रहा है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 115.08 लाख हेक्टेयर था। तिलहनों में सोयाबीन का रकबा 82.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 108.10 लाख हेक्टेयर हो गया है।
कपास खेती का रकबा इस खरीफ सत्र में अबतक मामूली रूप से बढ़कर 95.79 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 93.02 लाख हेक्टेयर था।
कुल मिलाकर, सभी खरीफ फसलों के लिए कुल रकबा पिछले साल की समान अवधि के 521.25 लाख हेक्टेयर के मुकाबले चालू खरीफ बुवाई सीजन के 15 जुलाई तक बढ़कर 575.13 लाख हेक्टेयर हो गया है।
भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेलों और दालों का आयात करता है। यदि कटाई तक मौसम की स्थिति अनुकूल बनी रही तो दलहन और तिलहन फसलों का अधिक रकबा होने से बम्पर उत्पादन हो सकता है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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